मुंबई, 28 मई (भाषा) महाराष्ट्र के 14 जिलों में किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि राज्य में करीब 94 प्रतिशत किशोरियां माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का आत्मविश्वास महसूस करती हैं।
इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र एक सांस्कृतिक बदलाव का गवाह बन रहा है, जहां किशोर चुप्पी तोड़ने और उन वर्जनाओं का सामना करने का साहस दिखा रहे हैं जिन पर भारत में महिलाएं सदियों से चुप्पी साधे रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जागरुकता के कारण किशोरियों में माहवारी संबंधी ज्ञान में 32 प्रतिशत तक सुधार हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस धारणा में 57 प्रतिशत की कमी आई है कि माहवारी का रक्त अशुद्ध होता है।
‘आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट’ की ‘उजास इम्पैक्ट रिपोर्ट 2024-25’ में कहा गया है, ‘‘महाराष्ट्र में 94 प्रतिशत किशोरियां इन बात को मानती हैं कि उनमें माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों को तोड़ने का आत्मविश्वास है। जो उनके ज्ञान, आत्मविश्वास और व्यवहार में एक बड़े परिवर्तन का संकेत है।
यह रिपोर्ट राज्य के 14 ग्रामीण एवं शहरी जिलों में 1.9 लाख व्यक्तियों के बीच किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें किशोरवय लड़कियां, लड़के, एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) के विद्यार्थी और आंगनवाड़ी सदस्य शामिल हैं।
अद्वैत बिड़ला द्वारा स्थापित ‘आदित्य बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट 2021’ से महाराष्ट्र में माहवारी और स्वच्छता प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कों में भी उल्लेखनीय प्रगति नजर आयी है और 91 प्रतिशत किशोरों ने कहा कि वे यौवन से जुड़े बदलावों को समझते हैं। उनमें से 36 प्रतिशत ने मासिक धर्म संबंधी उत्पाद खरीदने में सहज होने की बात कही।
भाषा राजकुमार शोभना
शोभना