नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार के एक मंत्री ने सुरक्षा चूक की बात स्वीकार की थी, लेकिन सरकार ने इसकी जांच क्यों नहीं कराई।
उन्होंने पार्टी की ओर से आयोजित ‘जयहिंद सभा’ में यह भी कहा कि सरकार को सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए।
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने सभा को संबोधित करते हुए दावा किया कि भारतीय सेना कभी भी कराची और लाहौर तक पहुंच सकती थी, लेकिन संघर्षविराम थोप दिया गया।
गहलोत ने कहा, ‘‘सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की जा रही है, लेकिन नहीं बुला रहे हैं। नेहरू जी के समय जब युद्ध चल रहा था तो उस वक्त के युवा सांसद अटल बिहारी वाजपेयी की मांग पर संसद का सत्र बुला लिया गया था। लेकिन अब क्या हो रहा है।’’
उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू के एक कथित बयान का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘आपकी सरकार के एक मंत्री ने माना था कि चूक हुई थी….कहां चूक हुई, इसे लेकर कोई जांच कराई गई? इसका कोई जवाब नहीं है।’’
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘वह कहते हैं कि खून की जगह सिंदूर दौड़ रहा है। नए नए जुमले लाते हैं। क्या सिंदूर दौड़ सकता है? अगर ऐसा होगा तो कोई जिंदा रहेगा?’’
उन्होंने कहा कि जब पूरे देश ने एकजुटता दिखाई तो प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष राजनीति करने लगे।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश में सवाल खड़े होने लगे तो ये लोग तिरंगा यात्रा करने लगे।
उन्होंने दावा किया कि सत्ता में फासीवादी लोग बैठ गए हैं, जिन्हें उखाड़कर फेंकना होगा।
माकन ने यहां ‘जयहिंद सभा’ में कहा, ‘‘पहलगाम आतंकी हमले के बाद बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री जी शामिल नहीं हुए, लेकिन बिहार में जनसभा को संबोधित किया। दूसरी सर्वदलीय बैठक में भी प्रधानमंत्री शामिल नहीं हुए।’’
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पहलगाम हमले में ‘‘शहीद’’ होने वालों के परिवारों के आंसू पोंछने गए, लेकिन प्रधानमंत्री को समय नहीं मिला।
माकन ने कहा, ‘‘आज समय आया है कि यह देखा जाए कि भारत सरकार से कहां गलतियां हुईं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘हम भारतीय सेना के जब्जे को सलाम करते हैं। भारतीय सेना इतने नजदीक पहुंच गई थी कि किसी भी क्षण कराची और लाहौर तक पहुंच जाती, सारे आतंकी शिविरों को नष्ट कर सकती थी, लेकिन क्यों वापस आए? 75 साल में पहली बार संघर्ष विराम थोपा गया और उसकी घोषणा अमेरिका ने सबसे पहले की। इससे ज्यादा दुख की बात नहीं हो सकती।’’
माकन ने कहा कि ऐसी सरकार का कोई फायदा नहीं, जो दूसरे देशों की सरकारों के सामने कायरता के साथ झुक जाए।
भाषा हक
हक वैभव
वैभव