मुंबई, 28 मई (भाषा)उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि घुसपैठियों ने, जिनकी संख्या करीब दो करोड़ है, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डाल दिया है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘जब हमारी सीमा की शुचिता अनियंत्रित घुसपैठियों द्वारा भंग की जाती है, तो यह कानून और व्यवस्था का सवाल नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व और राष्ट्रीय अखंडता का सवाल होता है।’’
वह मुंबई में अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ये लोग हमारे राष्ट्रीय संसाधनों में बड़े हिस्से की मांग करते हैं। वे हमारे हाथों से काम छीन लेते हैं और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालते हैं।’’
धनखड़ ने छात्रों से कहा,‘‘हमेशा ऐसी चुनौतियों से सावधान रहें जिसके तहत जनसांख्यिकीय संतुलन में नैसर्गिक विकास द्वारा नहीं बल्कि भयावह, सुनियोजित साजिश द्वारा हेरफेर किया जाता है।’’
उन्होंने कहा कि अब यह प्रवास का प्रश्न नहीं रह गया है, बल्कि जनसांख्यिकीय आक्रमण का सवाल है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘भारत ने इसे सहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में दो करोड़ से अधिक घुसपैठिये हैं। क्या हम उन्हें वहन कर सकते हैं? हमें इस देश में ऐसे लोगों की जरूरत है जो हमारी सभ्यता के प्रति प्रतिबद्ध हों।’’
उन्होंने कहा, ‘‘धीमी और दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय बदलावों होते हैं। जो सामान्य और प्राकृतिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तन हैं। उन्हें होना ही है, लेकिन वे आमतौर पर धीमे और दीर्घकालिक होते हैं।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘कुछ भौगोलिक क्षेत्रों की बनावट बदलने के उद्देश्य से साजिशन, अच्छी तरह से संरचित, बुरी मंशा से बदलाव किए जा रहे हैं। ये सबसे ज्यादा चिंताजनक रुझान हैं।’’
उन्होंने कहा कि यद्यपि प्राकृतिक जनसांख्यिकीय बदलाव धीरे-धीरे होते हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों की जनसांख्यिकीय संरचना में जानबूझकर और योजनाबद्ध तरीके से किए गए बदलाव गंभीर चिंता का विषय हैं।
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमारी जनसांख्यिकी में ये सुनियोजित परिवर्तन अक्सर राजनीतिक या रणनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होते हैं जो निश्चित रूप से हमारे राष्ट्र के लिए अच्छे नहीं हैं। ये हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन को बिगाड़ते हैं। भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए इस तरह के खतरनाक रुझानों पर सतर्क निगरानी और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आगामी दशकीय जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का सरकार का हालिया निर्णय, एक परिवर्तनकारी निर्णय, शासन में एक मील का पत्थर है।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ यह परिवर्तनकारी होगा। इससे हमें समानता लाने के लिए समान रूप से आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी और यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। इससे हमें तब भी मदद मिलेगी जब असमानताओं की हमारी समझ को समृद्ध करने के लिए डेटा उपलब्ध होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि अगर असमानताएं हैं, तो वे असमानताएं पैदा करती हैं और उन्हें जन्म देती हैं। यह शासन का सार नहीं है। जाति आधारित गणना से जो आंकड़े सामने आएंगे, वे हमें लक्षित विकास के लिए मार्गदर्शन करेंगे।’’
धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए शांति सर्वोत्कृष्ट और मौलिक है। उन्होंने कहा, ‘‘कभी मत भूलिए कि शांति मजबूत स्थिति से ही सुरक्षित होती है।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘लोकतंत्र केवल शांति में ही पनप सकता है और समृद्ध हो सकता है, जो ताकत, प्रभावी सुरक्षा, आर्थिक लचीलापन और आंतरिक सद्भाव के माध्यम से अर्जित की जाती है। इतिहास इसका प्रमाण है। आक्रमणों को विफल और शांति तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब हम युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहें।’’
धनखड़ ने इस महीने की शुरुआत में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में ठिकानों पर भारतीय हवाई हमलों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘भारत ने दुनिया को संदेश दिया है कि अब हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम इसे खत्म कर देंगे और इसके स्रोत को नष्ट कर देंगे।’’
इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल भी मौजूद थीं।
भाषा
धीरज माधव
माधव