नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली में पंजीकृत दिवालिया कंपनी के पूर्व प्रवर्तकों के खिलाफ 989 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में बुधवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और पंजाब में कई जगहों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि ऑटोमोबाइल और टेलीकॉम क्षेत्र के लिए बिजली के तार और केबल का डिजाइन एवं निर्माण करने वाली दिल्ली स्थित शिल्पी केबल्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (एसीटीएल) कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया हैं कंपनी के खिलाफ 2017 में दिवालिया की कार्रवाई शुरू की गई थी।
सूत्रों ने कहा कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दिल्ली-एनसीआर में नौ परिसरों और जालंधर में एक परिसर पर छापेमारी की गई।
ईडी ने इस मामले में पहली बार दिसंबर, 2024 में छापेमारी की थी।
उन्होंने कहा कि धन शोधन का मामला 2021 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी से सामने आया है, जिसमें कंपनी के प्रवर्तकों और अन्य सहयोगियों द्वारा आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ से 998 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
सूत्रों ने बताया, ‘‘सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि उक्त इकाई ने व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बैंकों से ऋण लिया और जिन उद्देश्यों के लिए ऋण लिया गया था उनके बजाय बैंक के धन का किसी और उद्देश्य में इस्तेमाल किया गया।’’
ईडी ने पिछले साल जारी एक बयान में कहा था, ‘‘इसके बाद प्रवर्तकों ने ऋण चुकाने में चूक की, जिससे बैंकों को 989 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।’’
सूत्रों के अनुसार, ईडी को संदेह है कि एलएससी (ऋण पत्र) का उपयोग करके बैंकों से प्राप्त धन (ऋण) का एक बड़ा हिस्सा ‘‘फर्जी’’ लेनदेन के माध्यम से विदेशों में स्थानांतरित किया गया। एजेंसी कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) मनीष गोयल की भूमिका की जांच कर रही है।
ईडी की कार्रवाई के संबंध में टिप्पणी के लिए कंपनी के पूर्व प्रवर्तकों या उनके कानूनी प्रतिनिधियों से संपर्क नहीं किया जा सका।
भाषा सुरभि माधव
माधव