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देवेगौड़ा ने आपातकाल में मोदी की भूमिका पर केंद्रित पुस्तक की प्रस्तावना में काले दिनों को याद किया

Newsदेवेगौड़ा ने आपातकाल में मोदी की भूमिका पर केंद्रित पुस्तक की प्रस्तावना में काले दिनों को याद किया

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक अस्तित्व के लिए सबसे गंभीर चुनौती करार देते हुए कहा है कि युवाओं का उन ‘‘काले दिनों’’ के बारे में पूरी तरह से जागरूक होना महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को यहां ‘द इमरजेंसी डायरीज – इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में आपातकाल के 21 महीने की अवधि के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका का वर्णन किया गया है।

गौड़ा ने पुस्तक की प्रस्तावना में कहा कि जब कई गैर-कांग्रेसी नेता जेल में बंद थे, उस समय मोदी जैसे लोगों ने संचार और प्रतिरोध का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि ब्लू क्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन इस दिशा में सराहनीय प्रयास कर रहा है। मुझे खुशी है कि वे उस समय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निभाई गई भूमिका का वर्णन कर रहे हैं।’’

भाजपा के सहयोगी जनता दल (सेक्युलर) के नेता ने कहा कि आपातकाल विरोधी आंदोलन ने भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा के लिए विभिन्न लोगों को एक साथ लाया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोकतंत्र और संविधान को बचाना ही उस आंदोलन का एकमात्र बड़ा उद्देश्य था, जिसने स्वतःस्फूर्त और व्यवस्थित रूप से आकार लिया। अगर यह उस समय नहीं किया गया होता, तो हम आज एक बहुत ही भिन्न भारत में होते। एक ऐसा भारत, जहां हमारा शायद अस्तित्व नहीं होता।’’

जद (एस) नेता ने कहा, ‘‘कर्नाटक में विपक्ष के नेता के रूप में, आपातकाल के दौरान मुझे भी व्यक्तिगत रूप से कष्ट सहना पड़ा। मुझे गिरफ्तार किया गया, लेकिन इस गिरफ्तारी से मैं कमजोर नहीं हुआ। यह सीखने और भारत भर के विभिन्न नेताओं के संपर्क में आने का एक शानदार अवसर बन गया।’’

गौड़ा ने आंदोलन का नेतृत्व करने वाले जयप्रकाश नारायण और उस समय के कई प्रमुख विपक्षी नेताओं को भी याद किया जिनमें मोरारजी देसाई, चरण सिंह, बीजू पटनायक, जॉर्ज फर्नांडीस, मधु दंडवते, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, श्याम नंदन मिश्रा और रामकृष्ण हेगड़े शामिल हैं।

उन्होंने मोदी सरकार के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें आपातकाल की बरसी को हर साल ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।

भाषा अविनाश पवनेश

पवनेश

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