(जीवन प्रकाश शर्मा)
नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) रेल परिचालन की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रेल मंत्रालय ने बुधवार को ट्रेन नियंत्रकों के कामकाज और कार्य स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रमुख सुधारों की घोषणा की।
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘‘ट्रेन नियंत्रकों को विषय संबंधी ज्ञान प्राप्त करने और इष्टतम स्तरों पर काम करने के लिए नियंत्रण कार्यालय में कम से कम तीन साल की सेवा करनी होगी। केवल अनुभवी और मेधावी यातायात निरीक्षकों और अच्छे सेवा रिकॉर्ड वाले स्टेशन मास्टरों को ही ट्रेन नियंत्रक के रूप में चुना जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रकों को हर पांच साल में अनिवार्य रिफ्रेशर कोर्स करना होगा, जिसमें पाठ्यक्रम में सिम्युलेटर-आधारित और परिदृश्य-संचालित शिक्षण मॉड्यूल शामिल होंगे। समय की पाबंदी सूचकांक, आपातकालीन हैंडलिंग, संचार कौशल और कार्य नियमों पर नियंत्रण के आधार पर नियंत्रकों के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए एक प्रदर्शन निगरानी तंत्र को संस्थागत बनाया जाएगा।’’
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि व्यक्तिगत नियंत्रकों पर अत्यधिक निर्भरता को रोकने के लिए नियंत्रण कार्यालयों में सभी पदों के लिए एक उचित उत्तराधिकार और ‘रोटेशन’ योजना बनाए रखी जाएगी।
मंत्रालय ने इस नौकरी में तनाव की प्रकृति पर ध्यान देने के लिए योग सत्र, परामर्श और आवधिक स्वास्थ्य जांच जैसे उपाय शुरू करने का भी निर्णय लिया है।
रेल मंत्रालय ने 27 अगस्त, 2024 को ट्रेन नियंत्रकों की कार्य स्थितियों में सुधार के तरीकों का अध्ययन करने और सुझाव देने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया था।
‘पीटीआई-भाषा’ ने 25 अगस्त, 2024 को ‘रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गेनाइजेशन’ (आरडीएसओ) द्वारा किए गए अध्ययन पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
आरडीएसओ रेल मंत्रालय के तहत काम करता है।
रेलवे के सभी जोन को 25 जून, 2025 के परिपत्र में कहा गया है कि समिति की सिफारिशों के बाद और ‘रेलवे यातायात नियंत्रण संगठन को सर्वश्रेष्ठ वैश्विक स्तर का’ बनाने के लिए प्रमुख पहल की गई हैं।
भाषा वैभव मनीषा
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