पुरी, 26 जून (भाषा) भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी के मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के ‘नबाजौबन दर्शन’ के लिए उमड़ पड़े।
श्रद्धालु सूर्योदय से पहले ही मंदिर के ‘सिंह द्वार’ पर पहुंच गए और ‘रत्न बेदी’ (गर्भगृह में पवित्र मंच) पर भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के ‘नबाजौबन दर्शन’ (युवा रूप) किए।
स्नान अनुष्ठान के बाद 11 जून को भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के सार्वजनिक दर्शन बंद कर दिए गए थे।
जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा, ‘ऐसा माना जाता है कि स्नान अनुष्ठान के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अस्वस्थ हो जाने के कारण सार्वजनिक दर्शन के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। रथ यात्रा से पहले पखवाड़े भर तक वे ‘अनासर घर’ (अलगाव कक्ष) में पृथक-वास में रहते हैं।’
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के एक अधिकारी के अनुसार, मंदिर सुबह आठ बजे से पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे तक ‘नबाजौबन दर्शन’ के लिए भक्तों के लिए खुला रहेगा।
‘नबाजौबन बेशा’ पर, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ एक विशेष युवा पोशाक पहनते हैं, और यह अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ के कायाकल्प का जश्न मनाने के लिए किया जाता है। इस दिन को ‘नेत्र उत्सव’ भी कहा जाता है, जब मूर्तियों की आंखों को रंगा जाता है।
मिश्रा ने बताया कि मंदिर में गुप्त रूप से यह अनुष्ठान नियुक्त सेवकों द्वारा किया जाता है।
एसजेटीए अधिकारी ने कहा, ‘‘श्रद्धालुओं को पहले मंदिर के अंदर ‘पारमाणिक’ (भुगतान करके) दर्शन के लिए जाने की अनुमति दी गई, जो सुबह आठ से नौ बजे के बीच हुआ और आम जनता के लिए दर्शन सुबह नौ से पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे के बीच हुआ।’’
उन्होंने कहा कि बाद में मंदिर के कपाट दिन भर के लिए बंद कर दिए गए।
एसजेटीए के प्रशासन प्रमुख अरबिंद पाढ़ी ने कहा, ‘सभी सेवकों के सहयोग से ‘नबाजौबन दर्शन’ सुचारू रूप से संपन्न हो गये। हमें उम्मीद है कि रथ यात्रा भी सुचारू रूप से संपन्न होगी।’
दिन के समय तीनों रथ मंदिर के मुख्य द्वार के सामने खड़े रहेंगे।
एसजेटीए अधिकारी ने कहा, ‘दोपहर में उन्हें रथ खड़ा (रथ यार्ड) से खींचा जाएगा। रथों को पार्क करने की रस्में निभाई जाएंगी।’
लकड़ी के तीन रथों का निर्माण पूरा हो चुका है और 27 जून को ग्रैंड रोड पर रथ यात्रा निकाली जाएगी। तीनों रथों में से ‘तालध्वजा’ भगवान बलभद्र का रथ है, देवी सुभद्रा का रथ ‘देवदलन’ और भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ है।
रथ यात्रा के अवसर पर ओडिशा पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों सहित 10,000 सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती की गई है। पहली बार, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कमांडो को भी उत्सव के लिए तैनात किया गया है।
ओडिशा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाई बी खुरानिया ने कहा, ‘एनएसजी के जवान छतों से त्योहार पर नजर रखेंगे, जबकि इस बड़े आयोजन के लिए पुरी शहर में रणनीतिक स्थानों पर करीब 275 एआई-सक्षम कैमरे लगाए गए हैं।’
उन्होंने कहा कि भीड़ प्रबंधन, यातायात नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सुविधाओं के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं।
डीजीपी ने कहा कि श्री गुंडिचा मंदिर में और उसके आसपास भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है, जहां देवताओं के साथ रथों को ले जाया जाएगा और एक सप्ताह के लिए पार्क किया जाएगा।
तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ओडिशा समुद्री पुलिस, तटरक्षक और भारतीय नौसेना के कर्मियों को भी तैनात किया गया है।
भाषा योगेश मनीषा
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