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Friday, June 27, 2025

झारखंड: किसान के घर में फंसे बाघ को सुरक्षित बाहर निकालकर पलामू बाघ अभयारण्य में छोड़ा गया

Newsझारखंड: किसान के घर में फंसे बाघ को सुरक्षित बाहर निकालकर पलामू बाघ अभयारण्य में छोड़ा गया

(संजय कुमार डे)

रांची, 26 जून (भाषा) झारखंड के रांची जिले में एक किसान के घर में घुसे रॉयल बंगाल टाइगर को सुरक्षित पकड़कर बृहस्पतिवार सुबह पलामू बाघ अभयारण्य (पीटीआर) के एक बाड़े में छोड़ दिया गया। वन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

प्रारंभ में माना जा रहा था कि यह बाघ पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल का है, लेकिन बाद में इसकी पहचान पीटीआर के बाघ के रूप में की गई।

अभयारण्य के क्षेत्र निदेशक एसआर नटेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमने सुबह करीब आठ बजे बाघ को निगरानी के लिए एक सेंटर में भेजा है, जिसके बाद उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा।’’

वन अधिकारियों द्वारा ‘किला’ नाम दिए गए नर बाघ को पहली बार अक्टूबर 2023 में पलामू किले के पास देखा गया था।

पलामू बाघ अभयारण्य के उपनिदेशक प्रजेश जेना ने बताया, ‘‘चूंकि बाघ को पहली बार पलामू किले के पास देखा गया था, इसलिए हमने पहचान के लिए इसका नाम ‘किला’ रखा।’’

रांची से करीब 65 किलोमीटर दूर सिल्ली ब्लॉक क्षेत्र के मरदु गांव में बुधवार सुबह पुरंदर महतो नाम के एक व्यक्ति के घर में बाघ के घुसने से इलाके में दहशत फैल गयी थी।

यह इलाका मुरी पुलिस चौकी के अंतर्गत आता है और पश्चिम बंगाल की सीमा के करीब है।

पलामू अभयारण्य और वन विभाग की संयुक्त टीम ने 13 घंटे के अभियान के बाद बाघ को पकड़ लिया।

जेना ने बताया, ‘‘रांची में प्राथमिक स्वास्थ्य जांच पूरी होने पर बाघ को नौ घंटे के सफर के बाद सावधानीपूर्वक अभयारण्य ले जाया गया।’’

उन्होंने बताया कि बाघ को छोड़ने से पहले बृहस्पतिवार सुबह पशु चिकित्सकों की एक टीम ने फिर से उसके स्वास्थ्य की जांच की।

जेना ने बताया, ‘‘हमने कैमरा से ली गयी तस्वीरों सहित अपने रिकॉर्ड दस्तावेजों के माध्यम से उसके शरीर पर बने धारीदार पैटर्न और अन्य सबूतों का मिलान किया, जिसके बाद पुष्टि की गयी कि यह वही बाघ है, जिसकी तस्वीर अक्टूबर 2023 में पलामू किले के पास खींची गई थी।’’

उन्होंने बताया कि यह बाघ बहुत चालाक है और झारखंड में लगभग पूरे आंतरिक बाघ गलियारे की यात्रा कर चुका है।

जेना ने दावा किया कि कैमरे से खींची गयी तस्वीरों और अन्य सबूतों के आधार पर पलामू बाघ अभयारण्य में फिलहाल पांच बाघ हैं।

भाषा जितेंद्र सुरेश

सुरेश

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