मुंबई, 26 जून (भाषा) क्रिसिल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि शीर्ष 18 राज्य चालू वित्त वर्ष (2025-26) में महिलाओं को चुनाव-पूर्व लाभ देने पर एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे।
चालू वित्त वर्ष में सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर राज्यों का खर्च जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) के दो प्रतिशत के बराबर होगा और इससे पूंजीगत व्यय पर असर पड़ने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 और 2023-24 के बीच सामाजिक क्षेत्र पर खर्च जीएसडीपी के 1.4-1.6 प्रतिशत के दायरे में हुआ करता था और पिछले वित्त वर्ष में यह बढ़कर दो प्रतिशत हो गया।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, “चालू वित्त वर्ष में बढ़े हुए व्यय से उच्च राजस्व घाटा होगा, जिससे राज्यों के लिए उच्च पूंजीगत व्यय करने का लचीलापन सीमित हो जाएगा।”
विश्लेषण में 18 शीर्ष राज्यों को शामिल किया गया है, जिनकी सभी राज्यों के जीएसडीपी में 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। इसमें कहा गया है कि सामाजिक क्षेत्र के व्यय में पिछड़े वर्ग, महिलाओं, बच्चों और श्रमिकों के कल्याण के लिए राजस्व व्यय, साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन के रूप में कुछ जनसांख्यिकीय समूहों को सहायता शामिल है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि राज्यों में कुल व्यय 2.3 लाख करोड़ रुपये आएगा और इसमें से एक लाख करोड़ रुपये मुख्य रूप से ‘चुनावी प्रतिबद्धताओं’ के रूप में महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के लिए होंगे।
महिलाओं को चुनाव-पूर्व दी जाने वाली रियायतों के प्रभाव के बारे में चिंताएं व्यक्त की जा चुकी हैं। ऐसी योजनाओं की चुनावी सफलता के बाद, यह आशंका जताई गई है कि अन्य सरकारें भी इसी प्रकार के उपायों की घोषणा करेंगी।
क्रिसिल ने कहा कि ऐसे रुझान आगे चलकर इसे एक महत्वपूर्ण निगरानी योग्य कारक बना देंगे।
भाषा अनुराग अजय
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