नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि बेंगलुरु का महानगरीय जीवन ‘‘बहुत आकर्षक’’ है और उसने शहर से बाहर स्थानांतरण किये जाने के खिलाफ दायर की गई चिकित्सकों की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति के़ विनोद चंद्रन की पीठ ने यह उल्लेख किया कि यदि चिकित्सकों का बेंगलुरु से बाहर तबादला किया गया है तो इसमें कोई पूर्वाग्रह नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘बेंगलुरु का महानगरीय जीवन बहुत आकर्षक है। कर्नाटक के अन्य क्षेत्र भी विकसित हैं। आप समाज के एक विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग हैं। यदि आप स्थानांतरण का विरोध करेंगे तो दूसरों का क्या होगा। हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।’’
शीर्ष अदालत चिकित्सकों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कर्नाटक राज्य सिविल सेवा (चिकित्सा अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के स्थानांतरण का विनियमन) नियमावली, 2025 को चुनौती दी गई थी। ये नियम राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के भीतर चिकित्सा अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के स्थानांतरण को नियंत्रित करते हैं।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पूर्व में नियमों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि 2025 के नियम कर्नाटक राज्य सिविल सेवा (चिकित्सा अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के स्थानांतरण का विनियमन) 2011 अधिनियम की धारा 12 के तहत राज्य सरकार की शक्ति का प्रयोग करते हुए बनाए गए थे।
याचिकाकर्ताओं ने मसौदा नियमों पर आपत्तियां दर्ज कराने के लिए केवल एक सप्ताह के समय का हवाला देते हुए नियमों पर सवाल उठाए थे।
उन्होंने कहा कि मसौदा नियमों में ग्रेटर बेंगलुरु की कोई अवधारणा नहीं है और अंतिम अधिसूचना में ग्रेटर बेंगलुरु को शामिल करना अस्वीकार्य है।
भाषा
सुभाष मनीषा
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