नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) प्रमुख सरकारी मंत्रालयों ने बृहस्पतिवार को एक संसदीय समिति को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के तेजी से उभरने के संबंध में देश की तैयारियों से अवगत कराया और कहा कि इसके विकास की निगरानी के लिए विभिन्न विभागों की एक समन्वय समिति काम कर रही है।
गृह, रक्षा, बिजली एवं संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के शीर्ष नौकरशाहों ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी संसदीय समिति के सदस्यों से चर्चा की।
बाद में, दुबे ने एआई के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि चर्चा ऐसे समय में देश की तैयारियों पर केंद्रित थी जब यह तकनीक रक्षा, रोजगार और समग्र विकास में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि यह (एआई) ‘‘डीप फेक’’ और अन्य नुकसानदेह आयामों के साथ एक खतरा भी बन रहा है।
भाजपा सांसद ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में यह एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया जिसमें भारत ने पाकिस्तान को परास्त कर दिया।
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से लड़ने में भी यह महत्वपूर्ण रहा है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में भाजपा के एक सदस्य और एक विपक्षी सदस्य के बीच बहस भी हुई, जब गृह सचिव से सवाल किया गया कि घुसपैठ रोकने के लिए एआई का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद ने झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में घुसपैठ को लेकर चिंता जताई।
जब एक अधिकारी ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बाड़ लगाने के लिए कथित तौर पर जमीन उपलब्ध नहीं कराने क जिक्र किया, जो गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में कहा था, राज्य के एक विपक्षी सांसद ने आपत्ति जताई और कहा कि वह इस मुद्दे पर एक ‘तथ्यात्मक’ रिपोर्ट देंगे।
हालांकि, संसदीय समिति ने अपनी बैठक के मुख्य एजेंडे ‘‘एआई के उद्भव और प्रभाव पर प्रस्तुति और साक्ष्य’’ पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।
सूत्रों ने कहा कि समिति को बताया गया कि विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एक समन्वय समिति एआई की प्रगति की निगरानी के लिए काम कर रही है, साथ ही इसके वैश्विक विकास पर भी नज़र रख रही है।
दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में पेरिस में ‘‘एआई एक्शन समिट’’ की सह-अध्यक्षता की थी, जिसमें उन्होंने अवसरों के साथ-साथ इसके खतरों को भी रेखांकित किया था।
भाषा अविनाश पवनेश
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