मुंबई, 27 जून (भाषा) महाराष्ट्र के कारीगरों ने इतालवी लक्जरी फैशन ब्रांड ‘प्राडा’ पर प्रसिद्ध कोल्हापुरी चप्पलों के डिजाइन की ‘नकल’ करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से हस्तक्षेप की मांग की है।
फैशन ब्रांड द्वारा कोल्हापुरी डिजाइन की तर्ज पर पुरुषों के लिए चप्पलें बनाने पर आपत्ति जताते हुए कारीगरों ने भौगोलिक पहचान (जीआई) अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य धनंजय महाडिक ने कोल्हापुर में बनने वाली पारंपरिक चप्पलों को बनाने वाले कारीगरों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात की।
उन्होंने एक ज्ञापन सौंपकर उनसे उल्लंघन की जांच करने और उत्पाद को संरक्षित करने का आग्रह किया गया, जो राज्य की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
महाडिक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि प्राडा द्वारा प्रचारित चप्पलों का पेटेंट और डिजाइन कोल्हापुरी है और इन्हें 1.7 लाख रुपये से 2.10 लाख रुपये प्रति जोड़ी के हिसाब से बेचा जा रहा है।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि प्राडा अपने उत्पाद को कोल्हापुरी पहचान दे और स्थानीय कारीगरों को राजस्व मिले। अगर प्राडा हमें ऑर्डर देता है, तो हम उनके लिए चप्पलें बना सकते हैं। कोल्हापुरी ब्रांड वैश्विक स्तर पर पहुंचेगा।’’
उन्होंने कहा कि कारीगरों को राजस्व और पहचान मिलेगी।
महाडिक ने कहा कि उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलने का समय मांगा गया है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में भाजपा सांसद ने कहा कि 23 जून को प्राडा ने इटली के मिलान शहर में पुरुषों के लिए कलेक्शन पेश किया, जिसमें कोल्हापुरी चप्पलों से मिलती-जुलती चप्पलें प्रमुखता से शामिल रहीं।
कोल्हापुरी चप्पलों को 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जीआई टैग प्रदान किया गया है।
कोल्हापुर से ताल्लुक रखने वाले महाडिक ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएं और तत्काल हस्तक्षेप करें।
भाषा शफीक दिलीप
दिलीप