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Saturday, June 28, 2025

एनिमेटेड फिल्म ‘लूप लाइन’: उन महिलाओं का क्या जो अपना जीवन नहीं बदल सकतीं: शहाणे

Newsएनिमेटेड फिल्म ‘लूप लाइन’: उन महिलाओं का क्या जो अपना जीवन नहीं बदल सकतीं: शहाणे

(बेदिका)

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) महिलाओं पर आधारित कहानियों में अक्सर उन्हें संघर्ष के बाद कोई हल खोजने की दिशा में कोई कदम उठाते दिखाया जाता है, लेकिन उन महिलाओं का क्या, जिनके पास न तो संसाधन हैं और न ही परिस्थितियों से बाहर निकलने का कोई रास्ता?

इन्हीं सवालों से प्रेरित होकर फिल्म निर्माता रेणुका शहाणे ने अपनी नयी फिल्म ‘लूप लाइन’ बनाई है।

दूरदर्शन के दिनों से ही सिनेमा और टीवी का जाना-माना नाम रहीं शहाणे ने कहा कि वह उन कई गृहिणियों के बारे में सोचती रहती हैं जो भावनात्मक और मौखिक दुर्व्यवहार के कारण अंतहीन दुष्चक्र में फंसी रहती हैं।

अभिनेत्री व फिल्म निर्माता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरे दिमाग में यह विचार था कि जब हम महिलाओं की कहानियां पढ़ते हैं, तो अंत में वे अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए कोई बड़ा या छोटा क्रांतिकारी कदम उठाती हैं। लेकिन उनका क्या जो कभी वह कदम नहीं उठातीं या जिनके पास कोई रास्ता नहीं है? वे एक प्रेमविहीन विवाह में फंसी हुई हैं, जहां उन्हें अपने काम के लिए कोई सम्मान नहीं मिलता और मानसिक शोषण सामान्य बात है।’’

‘लूप लाइन’ करीब आठ मिनट की लघु फिल्म है जो मुंबई की एक अधेड़ उम्र की गृहिणी पर आधारित है। फिल्म में वह खाना बनाती है, साफ-सफाई करती है और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करने वाले अपने पति के साथ छोटे से फ्लैट में रहती है, जिसके बाहर उसका कोई जीवन नहीं है।

लेकिन अपने मन की बगिया में उसका जीवन कल्पनाओं से भरा हुआ है जहां वह स्क्रीन पर नजर आने वाले अपने पसंदीदा हीरो से प्रेम करती है, खिली हुई कमलनियों से भरे तालाब में उन्मुक्त होकर तैरती है- यह ऐसा दृश्य है जो क्लाउड मोनेट की एक प्रसिद्ध पेंटिंग की याद दिलाता है।

अपनी इसी काल्पनिक दुनिया में ऐसे क्षण भी आते हैं जहां वह अपना आक्रोश भी जाहिर करती है।

निर्देशक के रूप में 2021 में फिल्म ‘त्रिभंगा’ के साथ शुरूआत करने वाली शहाणे ने कहा कि उन्होंने शुरुआत में लाइव-एक्शन के लिए कहानी लिखी थी, लेकिन ‘एनीमेशन’ में चरित्र का आंतरिक जीवन उन्हें ज्यादा खूबसूरत लगा।

शहाणे ने कहा, ‘‘जब मैं यह लिख रही थी, तो मुझे एहसास हुआ कि इस विशेष फिल्म में एक महिला की कल्पनाएं मैं केवल ‘एनीमेशन’ में ही दिखा सकती हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में ऐसी कोई जगह या संस्थान नहीं है जहां हम वयस्कों के लिए ‘एनीमेशन’ फ़िल्में दिखा रहे हों। इसलिए मुझे पता था कि यह मेरा एक ऐसा जुनूनी प्रोजेक्ट होगा जिसमें मैं पैसा लगाऊंगी और जिसमें फायदे की उम्मीद नहीं है। मैं इस बात पर अड़ी थी कि मैं यह कंटेंट सिर्फ़ एनीमेशन में ही बनाना चाहती हूं। जब मैंने पेपरबोर्ड डिज़ाइन स्टूडियो के मेरे एनिमेटर से जुड़ी टीम से संपर्क किया तो वे आश्चर्यचकित रह गए।’’

उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में अभी तक यह उतना लोकप्रिय नहीं हुआ है जितना जापान या अन्य देशों में है… ।’’

‘लूप लाइन’ में मिताली जगताप और आनंद अलकुंते की आवाज़ें शामिल हैं। यह फ़िल्म 19वें तस्वीर साउथ एशियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल, मुंबई शॉर्ट और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म फ़ेस्टिवल और न्यूयॉर्क इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल जैसे फ़िल्म समारोहों में दिखाई जा चुकी है।

इसका निर्माण शहाणे के ‘पदचिंहा प्रोडक्शन’ द्वारा किया गया है।

भाषा यासिर नरेश

नरेश

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