(तस्वीरों के साथ)
देहरादून, 27 जून (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पिछले दशक को देश के लिए अभूतपूर्व विकास का दशक बताते हुए शुक्रवार को कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेजी से बढ़ रहा है और दो-तीन सालों में वह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की आर्थिक उन्नति तेजी से हुई है। हमारा बुनियादी ढांचागत विकास अभूतपूर्व रहा है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में हम सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत के लिए पिछला दशक विकास और वृद्धि का दशक रहा है, वैश्विक व्यवस्था में एक नया स्थान पाने का दशक रहा है।’’
नैनीताल में शेरवुड कॉलेज के 156 वें संस्थापना दिवस समारोह के मौके पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि भारत दो-तीन सालों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत अब देश के लिए एक सपना नहीं बल्कि मंजिल बन चुका है।
उन्होंने विद्यार्थियों को याद दिलाया कि राष्ट्र की यात्रा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि वे शेरवुड में विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जिसके प्रतिष्ठित पूर्व छात्र सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के वास्तुकार फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन जैसी कुछ हस्तियों के नाम लेते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उनकी विरासत आपकी जिम्मेदारी है। आपको उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करने होंगे।’’
उन्होंने कहा कि अगर आपको 1.4 अरब लोगों के देश में इस तरह की शिक्षा प्राप्त हो रही है तो आप सही मायनों में विशेषाधिकार प्राप्त हैं क्योंकि देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को इस प्रकार की शिक्षा तक पहुंच नहीं है।
राष्ट्र निर्माण के लिए इस लाभ का उपयोग करने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पंक्ति याद दिलाई—‘‘उठो और जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’’
धनखड़ ने यह भी कहा कि भारत न केवल अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था या वैज्ञानिक विकास के कारण बल्कि अपनी जनसांख्यिकीय लाभांश के कारण भी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है ।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत की औसत आयु 28 वर्ष है। इसका अर्थ है कि हम चीन और अमेरिका से दस साल छोटे हैं। भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है। दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। हमें
इस बदलाव से पीछे नहीं रहना है बल्कि हमें वह बदलाव लाना है जो हम चाहते हैं।’’
उन्होंने देश की प्राचीनता, इसकी 5000 साल पुरानी सभ्यता और इसके शास्त्रों के विशाल भंडार के बारे में भी विस्तार से बात की । उन्होंने कहा, ‘‘ जब गीता, महाभारत या उपनिषद जैसे हमारे शास्त्रों में निहित ज्ञान के विशाल भंडार की बात आती है, तो कोई भी अन्य देश हमारे करीब भी नहीं खड़ा हो सकता।’’
धनखड़ ने समारोह में अपना भाषण कुर्सी पर बैठकर दिया । अपने संबोधन की शुरूआत में उपराष्ट्रपति ने मजाकिया लहजे में टिप्प्णी की कि अगस्त 2022 से उन्हें राज्यसभा के सभापति के रूप में अपनी कुर्सी पर बैठने की आदत सी हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘अध्यक्ष तभी उठता है जब कोई शोर या व्यवधान हो। इस तरह की शालीनता और अनुशासन के साथ मैं अपनी सीट पर बैठा रह सकता हूं।’’
उनकी इस बात पर श्रोताओं ने ठहाका लगाया ।
भाषा दीप्ति राजकुमार
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