नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) केंद्र ने कृषि वानिकी को बढ़ावा देने तथा कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई को आसान बनाने के लिए मॉडल नियम जारी किए हैं। इससे किसानों की आय दोगुनी करने, वन क्षेत्र के बाहर वृक्षारोपण बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलेगी।
सभी राज्य सरकारों को 19 जून को भेजे गए एक पत्र में पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि ”कृषि भूमि में पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम” का उद्देश्य कृषि वानिकी में कारोबारी सुगमता को बढ़ाना और किसानों को बिना किसी अनावश्यक प्रक्रियात्मक बाधाओं का सामना किए पेड़ों से आय हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
सरकार किसानों की आय दोगुनी करने, वनों के बाहर वृक्षों का आवरण बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन को कम करने, लकड़ी के आयात को कम करने और टिकाऊ भूमि उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कृषि वानिकी को बढ़ावा दे रही है।
मंत्रालय के अनुसार, कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए स्पष्ट, सुसंगत नियमों की कमी एक प्रमुख बाधा है, जो कृषि वानिकी उत्पादों की खेती और विपणन को प्रभावित करती है।
मॉडल नियमों के अनुसार, लकड़ी आधारित उद्योग (स्थापना और विनियमन) दिशानिर्देश, 2016 के तहत पहले से गठित राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) इन नियमों के लिए समिति के रूप में भी काम करेगी। इसमें अब राजस्व और कृषि विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे। समिति राज्य सरकार को सलाह देगी कि कैसे कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जाए और पेड़ों की कटाई और पारगमन के नियमों को सरल बनाकर कृषि भूमि से लकड़ी का उत्पादन बढ़ाया जाए।
यह आवेदनों के सत्यापन और कृषि भूमि से लकड़ी के पारगमन के लिए एजेंसियों को सूचीबद्ध करेगी। आवेदकों को अपनी रोपण भूमि को राष्ट्रीय लकड़ी प्रबंधन प्रणाली (एनटीएमएस) पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा। उन्हें भूमि स्वामित्व विवरण और अपनी कृषि भूमि का स्थान दर्ज करना होगा। उन्हें मूल रोपण विवरण देना होगा, जिसमें प्रजातियों के अनुसार पौधों की संख्या, रोपण तिथि (महीना और वर्ष) और पौधों की औसत ऊंचाई शामिल है।
आवेदकों को एसएलसी की आवश्यकता के अनुसार इस जानकारी को अपडेट भी करना होगा। प्रत्येक पेड़ की केएमएल फाइल फॉर्मेट में जियोटैग की गई तस्वीरों के साथ फोटो खींची जानी चाहिए। इन विवरणों की निगरानी वन, कृषि और पंचायती राज विभागों के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
आवेदक को 10 से अधिक पेड़ों वाली भूमि के लिए एनटीएमएस के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसमें काटे जाने वाले पेड़ों के बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी।
सत्यापन करने वाली एजेंसी क्षेत्र का दौरा करेगी और भूमि, पेड़ों और लकड़ी की अनुमानित मात्रा के बारे में विवरण के साथ एक रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके आधार पर, कटाई की अनुमति दी जाएगी।
भाषा पाण्डेय
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