कोझिकोड, 28 जून (भाषा) केरल सरकार ने शनिवार को अपने नशा रोधी अभियान के तहत राज्य के विद्यालयों में जुंबा नृत्य शुरू करने के फैसले पर अडिग रहते हुए कहा कि इसका विरोध ‘‘मादक पदार्थ से भी अधिक विषैला है।’’
सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इस मामले पर सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि लोगों का एक वर्ग जानबूझकर इस मामले को मुद्दा बना रहा है और ऐसा कुछ भी लागू नहीं किया जा रहा है, जो बच्चों के लिए हानिकारक हो।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार उन लोगों से बातचीत करने के लिए तैयार है, जिन्हें इस संबंध में गलतफहमी है। लेकिन, हमने सरकार के मौजूदा रुख से पीछे हटने का कोई फैसला नहीं किया है।’’
शिवनकुट्टी ने जुंबा नृत्य पर सरकार का रुख स्पष्ट किया क्योंकि कुछ मुस्लिम समूह इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और दलील दे रहे हैं कि यह नैतिक मूल्यों के खिलाफ है।
केरल के सामान्य शिक्षा विभाग ने अपने नशा रोधी अभियान के तहत राज्य भर के विद्यालयों में एक उच्च ऊर्जा वाला फिटनेस कार्यक्रम शुरू किया है।
मंत्री ने कहा कि राज्य के विद्यालयों में जुंबा, एरोबिक्स और योग जैसी गतिविधियों के क्रियान्वयन का कुछ वर्ग विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि ये गतिविधियां नशा रोधी जागरूकता के हिस्से के रूप में कार्यान्वित की जा रही हैं।
शिवनकुट्टी ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘इस तरह का विरोध समाज में मादक पदार्थों से भी ज्यादा घातक जहर घोल देगा। शिक्षा क्षेत्र में सुधार करने के बजाय, यह सांप्रदायिकता और संप्रदायवाद को बढ़ावा देगा।’’
स्कूल की गतिविधियों में केवल हल्के व्यायाम शामिल हैं, जिन्हें बच्चे स्कूल की पोशाक में करते हैं।
मंत्री ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) मानदंडों का हवाला देते हुए कहा कि बच्चों को सरकार द्वारा निर्धारित सीखने की प्रक्रियाओं में भाग लेना आवश्यक है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में माता-पिता के पास कोई विकल्प नहीं है। शिक्षक को आचरण नियमों के अनुसार विभाग द्वारा निर्धारित कार्य करने के लिए बाध्य किया जाता है। किसी ने भी बच्चों को छोटे कपड़े पहनने के लिए नहीं कहा है।’’
भाषा जितेंद्र शफीक
शफीक