(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 28 जून (भाषा) पाकिस्तान ने शनिवार को जम्मू कश्मीर में दो जलविद्युत परियोजनाओं पर हेग स्थित मध्यस्थता न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और सिंधु जल संधि से संबंधित मुद्दों पर भारत के साथ बातचीत के लिए इच्छुक होने का संकेत दिया।
पाकिस्तान ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि इस समय ‘‘उच्च प्राथमिकता’’ यह है कि ‘‘भारत और पाकिस्तान सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) से जुड़े मुद्दे को हल करने सहित एक सार्थक वार्ता का रास्ता तलाशें।’’
भारत ने शुक्रवार को इस फैसले को यह कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया था कि उसने पाकिस्तान के साथ विवाद समाधान के तथाकथित ढांचे को कभी मान्यता नहीं दी है।
नयी दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों से संबंधित मामले में फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत इस तथाकथित ‘‘पूरक निर्णय’’ को खारिज करता है।
अपने फैसले में मध्यस्थता न्यायालय ने कहा कि अप्रैल में सिंधु जल संधि को निलंबित करने का भारत का निर्णय, विवाद पर उसके निर्णय लेने की शक्ति को सीमित नहीं करता है तथा उसका फैसला सभी पक्षों पर बाध्यकारी है।
हालांकि, भारत ने मध्यस्थता न्यायालय की कार्यवाही को कभी मान्यता नहीं दी, क्योंकि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत दोनों परियोजनाओं की डिजाइन पर आपत्ति जताई थी।
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान ने इस फैसले को ‘‘एक बड़ी कानूनी जीत’’ बताया और इस बात पर जोर दिया कि यह ‘‘एक स्पष्ट संदेश है कि भारत एकतरफा तरीके से संधि को निलंबित या दरकिनार नहीं कर सकता।’’
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ‘‘पाकिस्तान के इशारे पर यह ताजा नाटक आतंकवाद के वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी भूमिका के लिए जवाबदेही से बचने के वास्ते हताशा में किया गया उसका एक और प्रयास है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘पाकिस्तान द्वारा इस मनगढ़ंत मध्यस्थता तंत्र का सहारा लेना, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर धोखाधड़ी और हेरफेर करने की उसकी दशकों पुरानी प्रवृत्ति के अनुरूप है।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘कथित तौर पर सिंधु जल संधि 1960 के तहत गठित किये गए अवैध मध्यस्थता न्यायालय ने इसका खुलेआम उल्लंघन करते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं के संबंध में एक ‘पूरक निर्णय’ जारी किया है।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत ने कभी भी इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के अस्तित्व को कानूनन मान्यता नहीं दी है।’’
मंत्रालय ने कहा कि भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय का गठन अपने आप में सिंधु जल संधि का गंभीर उल्लंघन है और इसके परिणामस्वरूप इसकी कोई भी कार्यवाही और इसके द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय इसी कारण अवैध है।
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है।
भाषा सुभाष दिलीप
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