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Sunday, June 29, 2025

आपातकाल ने पूरे देश को जेल में बदल दिया था : रेखा

Newsआपातकाल ने पूरे देश को जेल में बदल दिया था : रेखा

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शनिवार को कहा कि आपातकाल के दौरान पूरे देश को जेल में बदल दिया गया था, जहां नागरिक स्वतंत्रता निलंबित कर दी गई थी और विपक्षी नेताओं को बिना किसी सुनवाई के जेल में डाल दिया गया था।

रेखा ने यह टिप्पणी आपातकाल के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा की महिला मोर्चा की ओर से आयोजित ‘नकली संसद’ कार्यक्रम में की।

इस मौके पर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जो लोग जेब में संविधान लेकर चलते हैं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान ही इसकी हत्या की गई थी। इंदिरा गांधी के शासनकाल में सिर्फ सत्ता की एक कुर्सी की रक्षा के लिए सभी अधिकार छीन लिए गए थे।’’

उन्होंने शाहबानो प्रकरण का भी उदाहरण दिया कि कैसे राजनीतिक लाभ के लिए संवैधानिक सिद्धांतों के साथ समझौता किया गया।

अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के धर्मनिरपेक्ष प्रावधान के तहत मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण मिलने का विवादास्पद मुद्दा 1985 में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया था, जब मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि मुस्लिम महिलाएं भी भरण-पोषण पाने की हकदार हैं।

रेखा ने आपातकाल के दिनों (1975-77) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘एक समय था जब पूरा देश एक बड़ी जेल में तब्दील हो गया था। किसी को भी, कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता था। सभी विपक्षी नेता सलाखों के पीछे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग पूछते हैं कि हम हर 25 जून को आपातकाल को क्यों याद करते हैं। यह ‘रामलीला’ की तरह है, जो हमें रावण न बनने की याद दिलाने के लिए हर साल की जाती है। हम आपातकाल को यह सुनिश्चित करने के लिए याद करते हैं कि कोई भी नेता या सरकार इसे दोहराने की हिम्मत न करे।’’

मुख्यमंत्री ने महिला राजनीतिक कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अतीत और वर्तमान दोनों राजनीतिक घटनाओं के बारे में खुद को शिक्षित करें।

उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के रूप में हमें यह समझना चाहिए कि राजनीतिक रूप से क्या हो रहा है और पहले क्या हुआ है। तभी हम आम लोगों की समस्याओं से सही मायने में जुड़ पाएंगे।’’

देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल का ऐलान किया था, जो 21 मार्च 1977 तक चला। इसे व्यापक रूप से प्रेस सेंसरशिप, सामूहिक हिरासत और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दमन की अवधि के रूप में याद किया जाता है।

भाषा रंजन पवनेश

पवनेश

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