बेंगलुरु, 28 जून (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने संविधान की प्रस्तावना से ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) महासचिव दत्तात्रेय होसबाले की शनिवार को आलोचना की।
सिद्धरमैया ने संविधान में संशोधन के होसबाले के आह्वान पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरएसएस मनुस्मृति में विश्वास करता है। उनका भारतीय संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है और लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनकी मानसिकता संविधान बदलने और देश में मनुस्मृति थोपने की है। इसके अलावा वे और क्या कह सकते हैं?’’
उन्होंने कहा कि बी आर आंबेडकर की अध्यक्षता वाली समिति ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया था, जिसे बाद में विस्तृत चर्चा के बाद संविधान सभा ने स्वीकार कर लिया था।
‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने के आह्वान के बारे में सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘ये शब्द संसद में चर्चा के बाद संविधान में डाले गए थे। होसबाले की इच्छा के अनुसार संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता।’’
आपातकाल पर बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए होसबाले ने कहा था, ‘‘बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिये गए, संसद काम नहीं कर रही थी, तभी ये शब्द जोड़े गए थे।’’
उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
होसबोले ने कहा था, ‘‘इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।’’
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश