नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर पलटवार करने के लिए शनिवार को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उस टिप्पणी का हवाला दिया जिसमें उन्होंने भारतीय संविधान की उपयोगिता पर सवाल उठाया था और संविधान में बदलाव की बात कही थी।
भाजपा ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इस रुख को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है कि संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जैसे शब्दों की मौजूदगी की समीक्षा की जानी चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस को आपातकाल के दौरान लोगों पर की गई ज्यादतियों से ध्यान नहीं हटाना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि देश आपातकाल की 50वीं बरसी मना रहा है, ऐसे में यह जरूरी है कि तत्कालीन सरकार द्वारा लोगों को दी गई तकलीफों पर चर्चा की जाए, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
उन्होंने उस समय की मीडिया खबरों का हवाला दिया, जिनमें संविधान पर अपनी आलोचनात्मक राय व्यक्त करने के लिए इंदिरा गांधी के संवाददाता सम्मेलन और संबोधन को उद्धृत किया गया था।
उन्होंने एक बार संविधान में बुनियादी परिवर्तन करने के पक्ष में बात की थी और एक अन्य अवसर पर पूछा था कि क्या इससे लोकतंत्र को लाभ होगा।
आपातकाल की 21 महीने की अवधि के दौरान संविधान में व्यापक संशोधन किए गए, जब लोगों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए और कार्यपालिका को बहुत कम न्यायिक समर्थन के साथ व्यापक शक्तियां प्रदान की गईं।
हालांकि, बाद की जनता पार्टी सरकार ने अधिकांश संशोधनों को रद्द कर दिया।
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने हाल ही में मांग की थी कि आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में भारत को परिभाषित करने के लिए समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्दों को शामिल किए जाने की समीक्षा की जानी चाहिए। उनकी इस मांग को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
विपक्षी दलों ने दावा किया है कि यह देश के मार्गदर्शक दस्तावेज (संविधान) के प्रति हिंदुत्व की विचारधारा वाले संगठन के अविश्वास को दर्शाता है।
भाषा
शुभम संतोष
संतोष