नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) भारतीय वाहन उद्योग का प्रतिनिधिमंडल अभी तक दुर्लभ खनिज (चुंबक) के आयात में तेजी लाने के लिए चीन रवाना नहीं हो पाया है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि प्रतिनिधिमंडल को अब भी चीन के वाणिज्य मंत्रालय से बैठक के लिए औपचारिक मंजूरी का इंतजार है।
पिछले महीने लगभग 40-50 उद्योग अधिकारियों को वीजा मिल गया है, लेकिन वे अब भी इस मामले पर बैठक के लिए चीनी अधिकारियों से औपचारिक मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
घरेलू वाहन उद्योग ने दुर्लभ खनिज की कमी को देखते हुए चीन से इसका आयात बढ़ाने के लिए सरकार से भी समर्थन मांगा है।
एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘उन्होंने (चीनी अधिकारियों ने) अब तक कोई समय नहीं दिया है, इसलिए प्रतिनिधिमंडल अभी तक रवाना नहीं हुआ है। स्थिति खराब है क्योंकि अभी तक हमें एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।’’
सूत्र ने कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही, तो घरेलू वाहन उद्योग को इसकी कमी का सामना करना पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन का काफी नुकसान होगा। घरेलू वाहन उद्योग को यह कदम इसलिए उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि चीन की सरकार ने इस साल चार अप्रैल से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और चुंबक के निर्यात पर अंकुश लगा दिया है।
चीन ने सात दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और चुंबक के लिए विशेष निर्यात लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। चीन के पास चुंबक प्रसंस्करण की वैश्विक क्षमता के 90 प्रतिशत से अधिक पर नियंत्रण है। इसका इस्तेमाल वाहन, घरेलू उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
इसकी महत्वपूर्ण सामग्रियों में समैरियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम और ल्यूटेटियम शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर, ब्रेकिंग प्रणाली, स्मार्टफोन और मिसाइल प्रौद्योगिकी में होता है।
भारत ने पिछले वित्त वर्ष में अपने 540 टन चुंबक आयात का 80 प्रतिशत से अधिक चीन से मंगाया था। अब चीन द्वारा इसके निर्यात पर अंकुश का असर दिखने लगा है।
मई 2025 तक, भारतीय कंपनियों के लगभग 30 आयात अनुरोधों को भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है, लेकिन इन्हें चीनी अधिकारियों की मंजूरी नहीं मिली है। इस वजह से कोई खेप नहीं आ पाई है।
भाषा अजय अजय
अजय