गुवाहाटी, 29 जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा देश के संविधान से ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ को हटाने की वकालत करने के एक दिन बाद, प्रदेश कांग्रेस ने रविवार को पलटवार करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अपने संविधान में भी यही शब्द हैं जिनका वह विरोध कर रहे हैं।
विपक्षी दल ने शर्मा की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए इसे भाजपा के कामकाज को निर्देशित करने वाले दस्तावेज के विपरीत बताया।
असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा, ‘‘एक व्यक्ति, जिसने (भारत के) संविधान की शपथ ली है और वह इतने उच्च पद पर है, उसका इस तरह की टिप्पणी करना उसके पद के अनुरूप नहीं है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।’’
शर्मा ने शनिवार को दावा किया था कि ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द ‘पश्चिमी अवधारणाएं’ हैं और इन शब्दों को संविधान से हटा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इन शब्दों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया था, जब देश में आपातकालीन शासन था और इनका भारतीय सभ्यता में कोई स्थान नहीं है।
सैकिया ने शर्मा पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के अपने संविधान में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द हैं।
उन्होंने रेखांकित किया कि भाजपा की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद पार्टी के 24 पृष्ठों वाले ‘संविधान और नियम’ के पहले ही पन्ने में लिखा है कि यह ‘‘भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा तथा समाजवाद, पंथनिरपेक्षता के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध रहेगी…।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘भाजपा के संविधान के पहले पन्ने पर लिखा है कि वह देश के संविधान तथा समाजवाद और पंथनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन करेगी। इन शब्दों को अपने संविधान में शामिल करने के बाद, मुझे नहीं पता कि इसका विरोध करने का क्या कारण हो सकता है।’’
उन्होंने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री भाजपा से ‘नाराज’ हैं और किसी अन्य पार्टी में जाने की सोच रहे हैं। शर्मा करीब एक दशक पहले भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता थे।
भाषा धीरज सुभाष
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