29.6 C
Jaipur
Tuesday, July 1, 2025

पशुपालन के बिना खेती लाभ का धंधा नहीं बन सकती: चौहान

Newsपशुपालन के बिना खेती लाभ का धंधा नहीं बन सकती: चौहान

बरेली (उप्र), 30 जून (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि पशुपालन अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके बिना खेती लाभ का धंधा नहीं बन सकती।

यहां भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में चौहान ने उपाधिधारकों का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘पशुपालन के बिना खेती लाभकारी नहीं हो सकती है, इसलिए यह आज भी महत्वपूर्ण है तथा आगे और भी काम करने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शक्तिशाली, विकसित भारत का महाअभियान चल रहा है, जिसमें पशुपालन का बड़ा योगदान है।

चौहान ने विद्यार्थियों के लिए ‘भांजे-भांजियों’ के संबोधन से अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि सौभाग्य से हमारे बीच पधारीं भारत की महामहिम राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू में ज्ञान, भक्ति और कर्म तीनों का संगम दिखाई देता है। उन्होंने राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त किया।

दीक्षांत समारोह में उपस्थित 576 छात्रों को उपाधियां और 24 को पदक दिए गए।

उन्‍होंने उपाधिधारकों को लक्ष्य करते हुए कहा कि यह समारोह केवल डिग्री प्राप्त करने का नहीं है, डिग्री प्राप्त करने के बाद आपके कंधों पर नया उत्तरदायित्व आया है, आपकी ये उपाधि देश की सेवा के लिए है।”

चौहान ने कहा, ‘‘अपने लिए कीट पतंगे, पशु-पक्षी भी जीते हैं, लेकिन अपने लिए जिए तो क्या जिए, जिएं तो देश के लिए जिएं।”

केन्द्रीय मंत्री ने उपाधिधारकों से कहा कि यह उपाधि केवल आपके लिए नहीं है, यह देश के विकास को नया आयाम देने के लिए है।

चौहान ने कहा कि आपका अनुसंधान केवल पेपर लिखने के लिए नहीं है, आपके अनुसंधान का लाभ किसान और पशुपालकों को मिलना चाहिए। हमें खुशी है कि कई वैज्ञानिक निकले और किसानों को इसका लाभ मिला।

चौहान ने कहा कि देश के प्रत्येक जिले में वैज्ञानिकों की 2,000 टीमें भेजी जाएंगी। ये टीमें स्थानीय किसानों को आधुनिक कृषि, उन्नत नस्लों, तकनीकी खेती और बागवानी के विषय में जानकारी देंगी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अब सिर्फ प्रयोगशाला में सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि खेत और खलिहान तक जाकर किसानों से जुड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि देश में 300 से अधिक अभिनव कृषि प्रयोग किसानों ने खुद किए हैं, जिनमें वैज्ञानिकों के सहयोग से और अधिक परिष्कृत करने की आवश्यकता है।

चौहान ने कहा कि आईवीआरआई केवल एक संस्था नहीं, बल्कि यह भारत की ग्रामीण जीवनशैली, पशुपालन संस्कृति और वैज्ञानिक सोच का आधार है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने टीका अनुसंधान, उन्नत नस्ल विकास, दुग्ध उत्पादन और पशुपालन में ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिनसे न केवल भारत, बल्कि विश्व को भी नई दिशा मिली है।

उन्होंने कहा, ‘‘आप नये उत्तरदायित्व के साथ मैदान में उतरिए। ज्ञान देने में समाज बहुत खर्च करता है, इसलिए उनके ‘रिटर्न’ देने के लिए आप प्रयास करिए।”

भाषा आनन्द अजय

अजय

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles