नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) जीएसटी अनुपालन को सरल बनाना चाहिए, कर स्लैब को घटाकर तीन करना चाहिए और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाकर इसके आधार को व्यापक बनाना चाहिए।
पीडब्ल्यूसी इंडिया ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ साल पूरे होने के मौके पर सोमवार को एक रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद को ये सुझाव दिए।
जीएसटी ने लगभग 17 स्थानीय करों और 13 उपकरों को पांच-स्तरीय ढांचे में समाहित कर दिया था, जिससे कर व्यवस्था सरल हो गई।
पिछले आठ वर्षों में औसत मासिक जीएसटी संग्रह 2017-18 के 90,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में 1.84 लाख करोड़ रुपये हो गया। अप्रैल, 2025 में संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया।
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत में जीएसटी अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां वैश्विक व्यापार में आ रहे बदलाव के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के उभरते परिदृश्य के साथ ही विनिर्माण और वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) क्षेत्रों में निवेश जुटाने के लिए एक ऐसे जीएसटी ढांचे की जरूरत है, जो चुस्त, निवेशक-अनुकूल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी हो।’’
इस समय जीएसटी एक चार स्तरीय कर संरचना है, जिसमें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब हैं। विलासिता और अवगुण से जुड़ी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत का सबसे अधिक कर लगता है। पैक किए गए खाद्य उत्पादों और आवश्यक वस्तुओं पर सबसे कम पांच प्रतिशत जीएसटी लागू है।
पीडब्ल्यूसी ने कहा कि तीन स्तरीय दर संरचना से व्याख्या संबंधी विवाद कम होंगे, कर निश्चितता में सुधार होगा और अनुपालन सरल होगा।
रिपोर्ट में विमानन ईंधन से शुरू करके पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी लगाने की बात भी कही। इस समय पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा गया है।
भाषा पाण्डेय अजय
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