नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा)दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने के बारे में बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोपों पर बहस पूरी होने के बाद 23 जुलाई के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया, साथ ही आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर अपनी दलीलों का संक्षिप्त सारांश दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायाधीश गोगने ने कहा, ‘‘सीबीआई के वकील ने पिछले आदेश के अनुसार सीमित दलीलें पेश की हैं। इस प्रकार आरोप के पहलू पर बहस पूरी हो गई है। जिन आरोपियों ने लिखित दलीलें पेश नहीं की हैं, वे एक सप्ताह के भीतर अधिकतम आठ पृष्ठों में अपनी दलीलों का संक्षिप्त सारांश दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं।’’
न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि 14 आरोपियों के वकीलों ने भारी भरकम रिकॉर्ड के संदर्भ में व्यापक दलीलें पेश की थीं और दिन-प्रतिदिन की सुनवाई के बावजूद कार्यवाही कई महीनों तक चली थी, इसलिए ‘‘अदालत को अभियोग पर आदेश सुनाने के लिए उपयुक्त समय की आवश्यकता होगी।’’
प्रसाद, देवी और यादव ने इससे पहले मामले में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों का खंडन किया था।
इन आरोपों में आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार शामिल हैं जिनके लिए अधिकतम सात वर्ष कारवास की सजा हो सकती है।
लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी ने अपने वकील के माध्यम से अदालत के समक्ष दावा किया कि सीबीआई के पास इस मामले में उन पर मुकदमा चलाने के लिए पुख्ता सबूत नहीं है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग)-1 सरकार के दौरान रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने पहले इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई द्वारा प्राप्त मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया था।
यह मामला आईआरसीटीसी के दो होटल के परिचालन का ठेका एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
आरोपपत्र में आईआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक वी के अस्थाना और आर के गोयल तथा सुजाता होटल के निदेशक और चाणक्य होटल के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर का भी नाम है।
भाषा धीरज माधव
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