वाशिंगटन, 29 मई (एपी) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयार्क के पूर्व सांसद, कनेक्टिकट के एक गवर्नर, ‘एनबीए यंगबॉय’ के नाम से मशहूर रैपर, एक मजदूर नेता और कोरोना महामारी के दौरान सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाने वाले एक पूर्व सैन्य अधिकारी को बुधवार को अलग-अलग मामलों में माफी दे दी।
ट्रंप ने कोलोराडो की सुपरमैक्स जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शिकागो के एक पूर्व गैंग लीडर लैरी हूवर की सजा कम कर दी। हूवर को पहली बार 1973 में एक हत्या के सिलसिले में कैद किया गया था और 1998 में एक आपराधिक गिरोह चलाने का दोषी ठहराया गया था, लेकिन बाद में उसने अपने आपराधिक अतीत को त्याग दिया और सजा करने के लिए याचिका दायर की। वह अब भी जेल में बंद है।
एनबीए यंगबॉय के नाम से मशहूर लुइसियाना के रैप कलाकार केंट्रेल गॉल्डेन को भी ट्रंप ने माफी दी।
उसे बंदूक से संबंधित आरोपों में 2024 में लगभग दो साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी। उसने दोषसिद्धि के बावजूद हथियार रखने की बात स्वीकार की थी।
गॉल्डेन और अन्य लोगों को क्षमादान की पुष्टि बुधवार शाम को व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों ने की, जिन्होंने नाम न बताने की शर्त पर उन कार्रवाइयों का विवरण दिया, जिन्हें अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया था।
ऑनलाइन पोस्ट के जरिये दिये गये एक बयान में गॉल्डेन ने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति ट्रंप को मुझे क्षमादान देने और एक व्यक्ति, एक पिता और एक कलाकार के तौर पर रचनात्मक कार्य जारी रखने का अवसर देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।’’
ट्रम्प ने न्यूयॉर्क के मजदूर नेता जेम्स कैलाहन को भी माफ़ कर दिया, जिन्हें एक विज्ञापन फर्म से 315,000 अमरीकी डॉलर के उपहारों की रिपोर्ट करने में विफल रहने का दोषी पाया गया था और उन्हें सजा सुनाई जाने वाली थी।
राष्ट्रपति ने कनेक्टिकट के पूर्व गवर्नर रिपब्लिकन जॉन रोलैंड को भी माफ़ कर दिया। वह दो संघीय चुनाव अभियानों में अपनी भागीदारी छिपाने से संबंधित आरोपों के लिए 30 महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।
उन्होंने न्यूयॉर्क के रिपब्लिकन माइकल ग्रिम को भी क्षमादान दिया, जिन्होंने कर धोखाधड़ी के दोषी पाए जाने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। ग्रिम ने 2014 में फिर से चुनाव जीता, जबकि उनपर अपने एक रेस्तरां में वेतन और राजस्व को कम करके दिखाने के आरोप थे।
सेना के लेफ्टिनेंट मार्क ब्रैडशॉ को भी क्षमादान दिया गया। उनपर 2022 में कोविड-19 की जांच कराये बिना काम पर आने का आरोप सिद्ध हुआ था।
एपी सुरेश माधव
माधव