मुंबई, 30 जून (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य अबू आजमी ने मुगल शासक औरंगजेब पर टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ कथित तौर पर ‘राजनीति से प्रेरित’ होकर दर्ज की गई दो प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने सोमवार को पुलिस को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की।
मार्च में मीडिया को दिए गए एक साक्षात्कार में आजमी ने कथित तौर पर कहा था कि औरंगजेब एक ‘‘अच्छा प्रशासक’’ था और उसके शासनकाल के दौरान भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा तक फैल गईं। आजमी ने कथित तौर पर कहा कि अगर औरंगजेब ने मंदिरों को ध्वस्त किया था, तो उसने मस्जिदों को भी नष्ट कर दिया था।
यह टिप्पणी हिंदी फिल्म ‘‘छावा’’ की रिलीज के संदर्भ में की गई, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच संघर्ष को दर्शाया गया है।
इस टिप्पणी के बाद उन्हें इस साल मार्च में महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र से निलंबित कर दिया गया था। मुंबई पुलिस ने आजमी के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज कीं।
विधायक ने दावा किया कि उनकी टिप्पणियों को गलत संदर्भ में लिया गया और उन्होंने कभी भी किसी मराठा या हिंदू नेता के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की।
आजमी ने याचिका में कहा कि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की दुर्भावनापूर्ण मंशा दिखाई नहीं दी है।
आजमी ने अपनी याचिका में कहा, ‘‘ प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित है। यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।’’
सत्र अदालत ने आजमी को दोनों मामलों में अग्रिम जमानत दे दी और आजमी के भाषण को पढ़ने से पहले मामले दर्ज करने के लिए पुलिस की खिंचाई की। अदालत ने विधायक से साक्षात्कार देते समय संयम बरतने को भी कहा।
भाषा
नोमान धीरज
धीरज