नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को कहा कि जीवन में दुविधाओं का सामना करते समय अधिकारियों को अपने दिल की बात सुननी चाहिए। मेघवाल ने साथ ही सार्वजनिक पद पर आसीन होने के दौरान संवैधानिक जिम्मेदारी की गहरी समझ का आह्वान किया।
विधि मंत्री ने यह टिप्पणी विधि कार्य विभाग के संयुक्त सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वरिष्ठ भारतीय विधिक सेवा (आईएलएस) अधिकारियों, विशेषकर नव नियुक्त या संयुक्त सचिव या अन्य वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर आसीन होने वाले अधिकारियों के लिए जारी क्षमता निर्माण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 1975 की आपातकाल जैसी ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र करते हुए मेघवाल ने इस बात पर जोर दिया कि जीवन में दुविधाओं का सामना करते समय अधिकारियों को ‘अपने दिल की बात सुननी चाहिए’, साथ ही उन्होंने सार्वजनिक पद पर मौजूद लोगों में संवैधानिक जिम्मेदारी की गहरी समझ का आह्वान किया।
विधि सचिव अंजू राठी राणा ने इस कार्यक्रम को एक दीक्षांत समारोह से कहीं बढ़कर बताया। उन्होंने कहा कि यह पेशेवर बदलाव और संस्थागत नवीनीकरण का क्षण है।
भाषा शोभना संतोष
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