बाराबंकी (उप्र), एक जुलाई (भाषा) बाराबंकी जिले की एक विशेष अदालत ने हिंसा और हत्या के 18 वर्ष पुराने मामले में 12 लोगों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 1.18 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि वादी पक्ष के भी पांच लोगों को तीन-तीन वर्ष की कैद और 10-10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
अभियोजन अधिकारी कृपा शंकर ने बताया कि विशेष अपर सत्र न्यायाधीश (अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम) वीना नारायन की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया जिसमें 12 लोगों को हत्या, बलवा और दलित उत्पीड़न के अपराध के लिए दोषी ठहराया।
यह मामला चार मार्च 2007 का है। पटरांगा थाना क्षेत्र के सरैठा निवासी कृष्ण मगन ने अजय सिंह के साथ हुए विवाद के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ग्राम प्रधान चुने जाने से अजय सिंह व उनके साथी उनसे नाराजगी रखते थे। गांव का कोटा निरस्त हो जाने के कारण अजय सिंह के साथी कोटेदार राम प्रसाद भी उनसे रंजिश रखने लगा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कृष्ण मगन अपने मित्र मंसाराम के साथ शिवनगर चौराहे पर चाय पीने गए थे जहां अजय सिंह और सहजराम सिंह से उनकी कहासुनी हो गई।
उन्होंने बताया कि थोड़ी देर बाद अजय सिंह, राम प्रसाद और कुछ अन्य लोगों ने मगन के परिवार के सदस्यों पर हमला कर दिया, जिससे कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में से एक चेतराम की बाद में रुदौली अस्पताल में मौत हो गई।
कृपा शंकर ने बताया कि अदालत ने अजय सिंह, जगन्नाथ सिंह, विनोद सिंह, कृष्ण मगन सिंह, सहज राम सिंह, करुणा शंकर सिंह, संजय मिश्रा, साहब बक्श सिंह, मुन्ना सिंह, मुकुट सिंह, प्रमोद कुमार सिंह व राकेश कुमार तिवारी को हत्या, हत्या का प्रयास, आगजनी व एससी/एसटी अधिनियम और बलवा की धाराओं में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने आरोपी उमेश्वर प्रताप सिंह, भैरव बक्श सिंह और शंकर बक्श सिंह को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया।
वहीं, दूसरे पक्ष से जुड़े राम सिंह, मंसाराम, अमरेश कुमार, ननकू व सरबजीत को मारपीट व गंभीर चोट पहुंचाने के मामले में दोषी मानते हुए अलग से सजा सुनाई। लंबे समय तक चले मुकदमे के दौरान दूसरे पक्ष के पांच अन्य आरोपियों की मौत हो गई।
भाषा सं आनन्द खारी
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