नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने पुरानी गाड़ियों को जब्त कर कबाड़ करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की नीति को ‘अन्यायपूर्ण’ बताते हुए मंगलवार को मांग की कि जो वाहन प्रदूषण और फिटनेस जांच में खरे उतरते हैं, उन्हें कम से कम 20 साल तक सड़कों पर चलने की इजाजत दी जाए।
दिल्ली में मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर प्रतिबंध की शुरुआत हुई। इसके तहत अपनी उम्र पूरी कर चुकी गाड़ियों को आज से राष्ट्रीय राजधानी में ईंधन नहीं मिलेगा।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने एक बयान में इस प्रतिबंध को ‘जनता के हितों के खिलाफ साजिश’ और वाहन निर्माता कंपनियों के साथ सरकार की ‘साफ-साफ सांठगांठ’ बताया। उन्होंने सरकार से यह नीति वापस लेने की मांग की और ऐसा न करने पर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी।
बयान के मुताबिक, उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की केंद्र और दिल्ली सरकारें पूरी तरह फिट और प्रदूषण-मुक्त पुरानी गाड़ियों को जबरन कबाड़ करवाकर नई गाड़ियों की बिक्री को बढ़ावा देना चाहती हैं।
उनका दावा है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है जिससे गाड़ी निर्माता कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “ बीएस-2 (भारत स्टेज) से लेकर बीएस-6 तक के कड़े उत्सर्जन मानकों के बावजूद, सरकार 10 या 15 साल में गाड़ियों को कबाड़ में तब्दील करवा रही है। यह नीति तर्कसंगत नहीं, बल्कि अन्यायपूर्ण है।”
कांग्रेस नेता ने मांग की कि यदि कोई गाड़ी फिटनेस और प्रदूषण जांच (पीयूसी) पास करती है, तो उसे न्यूनतम 20 वर्षों तक सड़कों पर चलने की अनुमति दी जाए।
कुमार ने मांग की कि जिन लोगों की गाड़ियां पहले ही कबाड़ की जा चुकी हैं, उन्हें उचित मुआवज़ा और कर में छूट दी जाए।
साल 2018 में उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के 2014 के एक आदेश में भी सार्वजनिक स्थानों पर 15 साल से पुराने वाहनों की पार्किंग पर रोक लगाई गई थी।
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