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Wednesday, July 2, 2025

बंगाल भाजपा प्रमुख बनने की होड़ तेज; पार्टी इस हफ्ते नये अध्यक्ष की घोषणा करेगी

Newsबंगाल भाजपा प्रमुख बनने की होड़ तेज; पार्टी इस हफ्ते नये अध्यक्ष की घोषणा करेगी

कोलकाता, एक जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में पार्टी की प्रदेश इकाई का प्रमुख बनने की होड़ तेज हो गई है। प्रदेश इकाई में जबरदस्त गुटबाजी और गहन विचार-विमर्श के बीच भाजपा इस हफ्ते अपने पश्चिम बंगाल अध्य़क्ष की घोषणा कर सकती है।

भाजपा के निर्वाचन अधिकारी और विधायक दीपक बर्मन ने चुनाव कार्यक्रम की पुष्टि करते हुए एक अधिसूचना जारी की, जिससे इस बात को लेकर अटकलें शुरू हो गईं कि अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश इकाई की कमान किसे मिलेगी।

पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन बुधवार को स्वीकार किए जाएंगे। नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापस लेने की प्रक्रिया भी उसी दिन होगी। अधिसूचना के मुताबिक, उम्मीदवारों की अंतिम सूची बुधवार शाम छह बजे जारी की जाएगी।

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘अगर एक से अधिक उम्मीदवार मैदान में रहते हैं, तो मतदान बृहस्पतिवार को दोपहर 12 बजे से शुरू होगा और नतीजे दोपहर 1.30 बजे तक घोषित कर दिए जाएंगे।’’

हालांकि, पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया महज एक औपचारिकता है और केंद्रीय नेतृत्व की ओर से सर्वसम्मति से चुने गए उम्मीदवार का नाम बिना किसी मुकाबले के घोषित कर दिया जाएगा।

भाजपा के भीतर एक वर्ग ने किसी अनुभवी नेता को प्रदेश प्रमुख बनाने की वकालत की है। और इस कड़ी में एक नाम जो सबसे ज्यादा चर्चा में है, वह है भाजपा के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ नेता समिक भट्टाचार्य का।

भट्टाचार्य के सोमवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास का अचानक दौरा करने से अटकलों को बल मिला है।

पार्टी के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ऐसी खबरें हैं कि उन्हें (भट्टाचार्य को) आधिकारिक चैनल के माध्यम से आमंत्रित किया गया था और वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में नड्डा के साथ उनकी बैठक हुई, जो बंगाल भाजपा अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। इसे महज इत्तफाक नहीं माना जा सकता।’’

हालांकि, भट्टाचार्य ने कहा कि नड्डा के साथ उनकी मुलाकात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हाल ही में संपन्न संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बारे में जानकारी देने के लिए थी, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया कि मंगलवार को सीलबंद लिफाफे में एकमात्र उम्मीदवार के रूप में उनका नाम ही पेश किया जा सकता है, जो सर्वसम्मति वाले नेता के चयन की ओर इशारा करता है।

प्रदेश भाजपा के एक नेता ने पुष्टि की कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए वैश्विक संपर्क अभ्यास में शामिल सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सभी भाजपा सदस्यों ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात की।

भट्टाचार्य बंगाल में पार्टी के शुरुआती दिनों से ही उसके साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें एक निष्पक्ष और व्यापक रूप से स्वीकार्य चेहरा माना जाता है।

भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘‘वह (भट्टाचार्य) पार्टी के भीतर गुटबाजी से काफी हद तक दूर रहे हैं, स्पष्टवादी हैं, मीडिया की समझ रखते हैं और संगठन के भीतर उनका कोई विरोध नहीं दिखता है।’’

पदाधिकारी ने कहा, ‘‘विभिन्न शक्तिशाली गुटों के बीच आंतरिक मतभेद चरम पर होने के कारण समिक जैसा कोई व्यक्ति एक सर्वसम्मत चेहरे के रूप में उभर सकता है।’’

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति के बावजूद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के नाम पर भी सक्रियता से विचार किया जा रहा है। मजूमदार अभी केंद्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में भी सेवाएं दे रहे हैं।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से मजबूत तर्क हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों का मानना ​​है कि 2021 से (प्रदेश अध्यक्ष के रूप में) कार्यरत मजूमदार को नये चेहरे के लिए रास्ता बनाना चाहिए। लेकिन, कुछ अन्य को डर है कि चुनाव से ठीक आठ महीने पहले उन्हें बदलने से पहले से ही कमजोर संगठनात्मक ढांचे में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।’’

वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर मजूमदार ने सितंबर 2021 में दिलीप घोष की जगह प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला था। वह बालुरघाट लोकसभा सीट से दो बार के सांसद हैं।

सूत्रों ने बताया कि अंतिम फैसले की घोषणा संभवतः तीन जुलाई को कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में औपचारिक ‘अध्यक्ष अभिनंदन’ समारोह के दौरान की जाएगी।

भट्टाचार्य की नियुक्ति की संभावनाओं पर राजनीतिक पर्यवेक्षक एकमत नहीं हैं।

कुछ पर्यवेक्षक जहां उन्हें एक सुरक्षित और वफादार विकल्प के रूप में देखते हैं, वहीं अन्य को डर है कि उनके जनाधार के मद्देनजर यह पार्टी के लिए एक ‘बुरा कदम’ साबित हो सकता है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए पार्टी विधायक अग्निमित्रा पॉल का कथित तौर पर समर्थन किया है। उन्होंने दिल्ली में पार्टी आलाकमान को इस बारे में सूचित भी कर दिया है।

हालांकि, ज्यादातर सूत्रों का मानना ​​है कि पॉल और प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल एक अन्य नेता भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो के नाम पर गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा है।

बंगाल भाजपा के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर स्वीकार किया, ‘‘समिक दा फिलहाल दौड़ में सबसे आगे हैं। वह एक ऐसे चेहरे की जरूरत पूरी करते हैं, जो जमीनी स्तर और केंद्रीय नेतृत्व दोनों को आकर्षित कर सके।’’

बहरहाल, पार्टी के अन्य लोग महाराष्ट्र का उदाहरण देते हैं, जहां चुनाव से तीन महीने से भी कम समय पहले प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया गया था, लेकिन फिर भी पार्टी को सफलता मिली थी।

बंगाल भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘एक सर्वस्वीकार्य नेता, चाहे वह नवनियुक्त ही क्यों न हो, अगर बुद्धिमानी से चुना जाए, तो वह कार्यकर्ताओं में नयी ऊर्जा भर सकता है।’’

भाजपा का संविधान मजूमदार को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल संभालने की अनुमति देता है। उन्होंने 2021 में पदभार ग्रहण करने के बाद से एक कार्यकाल पूरा कर लिया है।

एक अन्य भाजपा नेता ने कहा, ‘‘लेकिन मंत्री पद की जिम्मेदारी के मद्देनजर उनके लिए दोनों भूमिकाओं के साथ न्याय करना कठिन होता जा रहा है। और पार्टी अपने ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति के बारे में स्पष्ट है।’’

अगर चुनाव की जरूरत हुई, तो राज्य परिषद के 415 सदस्य मतदान करेंगे। हालांकि, ज्यादातर नेताओं को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया निर्विरोध होगी।

एक वरिष्ठ राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, ‘‘अंतिम चयन बंगाल के लिए केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति को प्रतिबिंबित करेगा। अध्यक्ष को लोकप्रियता, स्वीकार्यता और अनुशासन के बीच संतुलन बनाना होगा।’’

चर्चा में दो बार के पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का नाम आश्चर्यजनक रूप से गायब है। हालांकि, पार्टी के कुछ सदस्यों ने उनकी वापसी की वकालत की है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) उनसे कथित तौर पर असंतुष्ट हैं और इस स्तर पर उनकी पुन: नियुक्ति की संभावना को खारिज कर रहे हैं।

हालांकि, भाजपा नेतृत्व अभी तक चुप्पी साधे हुए है और कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के भीतरी हलकों में चर्चा है कि ‘असली चुनाव तो पहले ही समाप्त हो चुका है’ और अब केवल प्रक्रियागत औपचारिकता पूरी करना ही बाकी है।

भाषा पारुल नरेश

नरेश

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