नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मंगलवार को कहा कि पात्र नागरिकों को केवल उन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण कराना चाहिए, जहां के वे सामान्य निवासी हैं, न कि उस स्थान पर जहां उनका मूल निवास है।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब बिहार में चुनाव मशीनरी राज्य की मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) कर रही है, जहां इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं।
इस अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य ऐसे “कई व्यक्तियों” की पहचान करना है, जो जानबूझकर या अनजाने में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के एक से अधिक मतदाता पहचान-पत्र रखे हुए हैं।
यहां बूथ-स्तरीय अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, “लोक प्रतिनिधित्व कानून के अनुसार, आप जिस विधानसभा क्षेत्र के सामान्य निवासी हैं, वहीं पर ही आपको मत का अधिकार प्राप्त है। उदाहरण के लिये अगर आप सामान्य तौर से दिल्ली में रहते हैं पर आपका मूल निवास पटना में है, तो आपका मत दिल्ली में होना चाहिए, न कि पटना में।”
कई लोग एक स्थान के सामान्य निवासी हैं और उन्होंने उसी स्थान से अपना मतदाता पहचान पत्र प्राप्त किया है, जबकि प्रवास से पहले का उनका मतदाता पहचान पत्र उनके पास है, जो कि, अधिकारियों ने बताया, एक आपराधिक कृत्य है।
विपक्षी दलों ने दावा किया है कि इस कवायद से वास्तविक मतदाता अपने अधिकार से वंचित हो सकते हैं और बिहार में सत्तारूढ़ सरकार को फायदा हो सकता है।
पूरे देश में या भागों में 1952 से 2004 तक 52 वर्षों की अवधि में नौ बार, विभिन्न गहन संशोधनों के माध्यम से मतदाता सूचियां नए सिरे से तैयार की गईं – औसतन लगभग हर छह साल में एक बार।
इस बार हालांकि यह कवायद 22 वर्षों के बाद हो रही है।
निर्वाचन आयोग इस वर्ष छह राज्यों में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा, जिसकी शुरुआत बिहार से होगी, ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकाला जा सके।
बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, जबकि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं।
यह कदम, जिसे बाद में अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा, बांग्लादेश और म्यांमा सहित अवैध विदेशी प्रवासियों पर विभिन्न राज्यों में की गई कार्रवाई के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
भाषा
प्रशांत पवनेश
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