हैदराबाद, एक जुलाई (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से संबंधित एक समिति ने पोलावरम-बनकाचेरला लिंक परियोजना पर आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव को यह कहते हुए वापस करने का फैसला किया है कि राज्य सरकार को केंद्रीय जल आयोग (सीडब्लयूसी) के परामर्श से बाढ़ के पानी की उपलब्धता का व्यापक आकलन करना चाहिए।
विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 17 जून को आयोजित बैठक के लिखित ब्योरे में उल्लेख किया कि ईमेल के माध्यम से कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि प्रस्तावित योजना गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण के 1980 के आदेश का उल्लंघन हो सकती है।
ब्योरे में कहा गया, ‘‘इसके मद्देनजर यह जरूरी है कि परियोजना प्रस्तावक (आंध्र प्रदेश सरकार) अंतर-राज्यीय मुद्दों की जांच करने और पर्यावरण प्रभाव आकलन करने के लिए संदर्भ की शर्तें तैयार करने का प्रस्ताव पेश करने से पहले आवश्यक मंजूरी/अनुमति देने के लिए केंद्रीय जल आयोग से संपर्क करे। ईएसी ने उपरोक्त कारणों के आधार पर प्रस्ताव वापस करने का फैसला किया’।
आंध्र प्रदेश सरकार बाढ़ के पानी का उपयोग करने के लिए एक लिंक नहर के माध्यम से पोलावरम बांध से श्रीशैलम राइट मेन कैनाल पर बनकाचेरला विनियामक तक बाढ़ के पानी को स्थानांतरित करने के लिए एक योजना तैयार करने का प्रस्ताव किया है।
हालांकि, तेलंगाना सरकार इस परियोजना का पुरजोर विरोध कर रही है और कह रही है कि यह परियोजना राज्य के हितों के खिलाफ है। उन्होंने प्रस्तावित परियोजना रोकने के लिए केंद्र से भी संपर्क किया।
परियोजना की प्रारंभिक लागत 2025-26 के मूल्य स्तर पर 81,900 करोड़ रुपये आंकी गई है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पहले कहा था कि बनकाचेरला परियोजना का उद्देश्य गोदावरी नदी के अतिरिक्त पानी को आंध्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों तक ले जाना है।
नायडू ने इस बात पर जोर दिया था कि तेलंगाना को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गोदावरी नदी के अतिरिक्त पानी का ही केवल उपयोग किया जाएगा, जो इस्तेमाल न होने पर बहकर समुद्र में चला जाएगा।
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शुभम सुरेश
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