नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) संसद की एक समिति की बैठक मंगलवार को उस वक्त अचानक खत्म करनी पड़ी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसदों ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का पक्ष सुनने के समिति के फैसले का विरोध किया।
भाजपा लंबे समय से यह आरोप लगाती रही है कि पाटकर ने पर्यावरण से जुड़े मामलों की आड़ में देश के विकास और हितों के खिलाफ काम किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद पुरुषोत्तम रूपाला के साथ उनकी पार्टी के अन्य सांसद भी बैठक से बाहर चले गए और कुछ लोगों ने पाटकर को ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ करार दिया।
भाजपा के एक सांसद ने आश्चर्य जताया और कहा कि क्या ऐसी बैठक में पाकिस्तान के नेताओं को भी बुलाया जा सकता है।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति ने 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के सत्ता में रहने के दौरान संसद द्वारा अधिनियमित भूमि अधिग्रहण कानून के कार्यान्वयन और प्रभावशीलता पर पाटकर के विचार सुनने के लिए उन्हें बुलाया था।
उलाका ने फैसले का बचाव करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि संसदीय समिति के लिए विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक संगठनों के सदस्यों और अन्य हितधारकों को सुनना एक मानक परंपरा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भूमि अधिग्रहण कानून पर उनके विचार सुनना चाहते थे। हम सभी से राय चाहते थे, लेकिन उन्होंने (भाजपा) इसकी अनुमति नहीं दी।’’
भाजपा के एक सदस्य ने कहा कि उनकी प्राथमिक आपत्ति पाटकर को बुलाने पर थी, जो सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने से जुड़े गुजरात सरकार के कदम के खिलाफ ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ का चेहरा थीं।
भाजपा सांसदों के बैठक से बाहर जाते ही उलाका ने बैठक खत्म करने का फैसला किया।
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