कोहिमा, दो जुलाई (भाषा) नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार नौकरी में आरक्षण की मौजूदा नीति की समीक्षा के लिए एक आयोग के गठन की तैयार कर रही है। उन्होंने लोगों से इस मुद्दे को लेकर धैर्य रखने का आग्रह किया।
कोहिमा में एक औपचारिक समारोह से इतर पत्रकारों से बात करते हुए रियो ने कहा कि आयोग का कार्य बहुत विस्तृत है और इसका निष्कर्ष तत्काल नहीं आ सकता।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासन, आरक्षण या परिसीमन के संबंध में कोई भी सुधार जनगणना के बाद ही किया जाना चाहिए। जनगणना के 2027 में शुरू होने की उम्मीद है।
रियो ने कहा, ‘‘हम अस्थायी व्यवस्था नहीं करना चाहते हैं। पूरे राज्य को गहन समीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना होगा।’’
मुख्यमंत्री ने मौजूदा प्रणाली में कुछ खामियों को स्वीकार किया और उन्हें व्यापक एवं निर्णायक रूप से दूर करने के लिए कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाया।
कोहिमा में पांच जनजातियों की आरक्षण नीति संशोधन समिति (सीओआरआरपी) की नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को प्रस्तावित आयोग से बाहर रखने की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए रियो ने कहा, ‘‘सरकार इस पर विचार करेगी। हमें इंतजार करना होगा।’’
अंगामी, एओ, लोथा, रेंगमा और सेमा जनजातियों के प्रतिनिधियों वाली सीओआरआरपी ने आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए आयोग बनाने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के बावजूद सरकार की कथित निष्क्रियता पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।
घोषणा का स्वागत करते हुए समिति ने या तो मौजूदा आरक्षण नीति को खत्म करने या फिर अनारक्षित कोटा पांचों जनजातियों को आवंटित करने की अपनी दोनों प्रमुख मांगें दोहराईं।
सीओआरआरपी ने एक बयान में सरकार के साथ तीन जून को हुई बैठक के बाद कोई प्रगति न होने की आलोचना की। उसने कहा, ‘‘हमारी प्रमुख मांगों पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है, न ही कोई आधिकारिक संचार प्राप्त हुआ है।’’
भाषा यासिर पारुल
पारुल