लखनऊ, दो जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश में वायु की गुणवत्ता की निगरानी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बेहतर इस्तेमाल के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर (आईआईटी-के) के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ‘एरावत रिसर्च फाउंडेशन’ ने एआई और हाइब्रिड क्लाउड क्षेत्र की अग्रणी कंपनी आईबीएम के साथ बुधवार को एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये।
राजधानी लखनऊ में ‘स्केलेबल एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी’ पर आधारित एक कार्यशाला में इस एमओयू को अंतिम रूप दिया गया।
इस समझौते का उद्देश्य ऐसे डेटा-संचालित स्थानीयकृत समाधानों को मुमकिन बनाना है जो आर्थिक विकास को पर्यावरणीय सततता के साथ संतुलित करते हों और जो विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप भी हों। आईबीएम इस पहल के लिए तात्कालिक निगरानी और साक्ष्य-आधारित सिफारिशें प्रदान करेगी।
इस पहल का नेतृत्व कर रहे ‘कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी’ के डीन और एरावत रिसर्च फाउंडेशन के परियोजना निदेशक प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा, ”हमने उत्तर प्रदेश, बिहार और उसके बाहर के कई हिस्सों के लिए एक संपूर्ण एयरशेड-आधारित वायु गुणवत्ता (ए.क्यू.) स्टैक बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित डेटा का उपयोग किया है। अगर आप इन दो राज्यों के लिए मौजूदा निगरानी नेटवर्क को देखें तो लगभग 110 सरकारी संचालित मॉनिटर हैं। इसके विपरीत, पिछले दो वर्षों में एरावत ने इन दोनों राज्यों में वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए कुल 1365 सेंसर लगाये हैं। लगभग हर प्रशासनिक ब्लॉक में एक सेंसर लगाया गया है।”
प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि आईबीएम के सहयोग से वायु गुणवत्ता की निगरानी को और बेहतर तथा स्थानीयकृत बनाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि इस एमओयू के तहत काम की शुरुआत लखनऊ से की जाएगी तथा आईबीएम राजधानी में अपना एक डैश बोर्ड केंद्र बनाएगी।
उन्होंने कहा, ‘विचार यह है कि इन सेंसर से पीएम2.5, पीएम10, तापमान और सापेक्ष आर्द्रता पर सभी उपलब्ध डेटा का उपयोग करके एक व्यापक एक्यू स्टैक बनाया जाए। कई स्थानों पर हमने गैस प्रदूषकों पर अतिरिक्त डेटा के साथ सेंसर को बेहतर बनाया है।”
आईबीएम इंडिया सॉफ्टवेयर लैब्स के उपाध्यक्ष विशाल चहल ने इस अवसर पर कहा, ”एरावत फाउंडेशन और आईबीएम के बीच हुआ एमओयू यह जाहिर करता है कि कैसे सरकार, शिक्षा और उद्योग क्षेत्र पर्यावरण के लिए प्रभावशाली और उन्नत नवाचारों का निर्माण करने के लिए एक साथ आ सकते हैं।”
उन्होंने कहा, ”हमारा लक्ष्य आईआईटी कानपुर से डोमेन विशेषज्ञता को आईबीएम की उन्नत सॉफ्टवेयर क्षमताओं के साथ एकीकृत करके बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाना और प्रौद्योगिकी-संचालित कार्रवाई, निजी और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से भारत के स्वच्छ वायु लक्ष्यों को हासिल करने की कवायद को रफ्तार देने में मदद करना है।”
इससे पहले, कार्यशाला को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष रवीन्द्र प्रताप सिंह ने कहा, ”वायु प्रदूषण की समस्या को समझने के लिए हमें यह जानना चाहिए कि इस वायु प्रदूषण का स्रोत और उसकी तीव्रता क्या है। इसके लिए हमें एक छोटे ग्रिड की आवश्यकता है और सटीक स्रोत की पहचान करनी होगी। इसलिए हमें इस डेटा की जरूरत है ताकि हम सटीक रूप से रणनीति बना सकें और अपने निर्णयों और नीतियों की योजना बना सकें।”
प्रदेश के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा, ”उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और इसकी अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रदूषण एक समस्या है और ग्रामीण लोग तेजी से वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। कम लागत पर ब्लॉक-स्तरीय वायु निगरानी ने काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने लाए हैं। आजमगढ़, कुशीनगर और श्रावस्ती जैसे स्थानों में वायु गुणवत्ता शहरी क्षेत्रों के बराबर या उससे भी खराब है।”
कुमार ने कहा, ‘अगर वायु की गुणवत्ता की बात करें तो पिछले चार-पांच वर्षों में हमने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में महत्वपूर्ण काम किया है। हाल ही में मैंने देखा है कि एनसीआर में पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष वायु गुणवत्ता के स्तर में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, ”आईआईटी कानपुर के प्रयासों से सभी ब्लॉक में कम लागत वाली निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे ‘रियल टाइम’ (वास्तविक समय) पर निगरानी संभव हो पाई है। इससे कार्रवाई योग्य जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जिससे उन स्थानों की पहचान करने में मदद मिलती है, जहां फौरन काम करने की जरूरत है।”
इस अवसर पर आईआईटी कानपुर तथा अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में वायु गुणवत्ता की स्थिति को लेकर प्रस्तुतीकरण पेश किये और वायु प्रदूषण की स्थिति तथा उससे निपटने के विभिन्न प्रयासों पर व्यापक चर्चा की।
भाषा सलीम अमित
अमित