नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने बुधवार को कहा कि व्यापार नीति अनिश्चितताओं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों सहित तमाम बाधाओं के बावजूद भारत का टायर निर्यात 2024-25 में सालाना आधार पर नौ प्रतिशत बढ़कर 25,051 करोड़ रुपये का हो गया।
एटीएमए ने कहा कि सीमित घरेलू उपलब्धता के कारण उद्योग की प्राकृतिक रबड़ (एनआर) की लगभग 40 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरी होती है। ऐसे में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए केंद्रित हस्तक्षेप के माध्यम से घरेलू उत्पादन में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए एटीएमए ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का टायर निर्यात सालाना आधार पर नौ प्रतिशत बढ़कर 25,051 करोड़ रुपये हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 23,073 करोड़ रुपये रहा था। एक लाख करोड़ रुपये के अनुमानित वार्षिक कारोबार और 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात के साथ, भारतीय टायर उद्योग देश के उन कुछ विनिर्माण क्षेत्रों में से एक है, जिनका निर्यात-से-कारोबार का अनुपात अधिक है।
एटीएमए के अध्यक्ष अरुण मैमन ने कहा, ‘‘कोविड-19 की मंदी के बाद टायर उद्योग ने उल्लेखनीय जुझारूपन और विकास प्रदर्शित किया है। पिछले 3-4 वर्षों में, टायर निर्माताओं ने नई और पुरानी परियोजनाओं में लगभग 27,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो भारत की आर्थिक प्रगति में उनके दृढ़ भरोसे को दर्शाता है।’’
एटीएमए ने कहा कि भारतीय टायर 170 से अधिक देशों को निर्यात किए जाते हैं। इनमें अमेरिका, यूरोप, लातिनी अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया शामिल हैं। अमेरिका शीर्ष निर्यात बाजार बना हुआ है, जिसका मूल्य के हिसाब से निर्यात में 17 प्रतिशत हिस्सा है, इसके बाद जर्मनी (6 प्रतिशत), ब्राजील (5 प्रतिशत), यूएई (4 प्रतिशत) और फ्रांस (4 प्रतिशत) का स्थान है। एटीएमए ने कहा कि भारत में प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण, गुणवत्ता आश्वासन, ब्रांडिंग पहल और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन और मानकों के साथ बेहतर तालमेल के माध्यम से टायर निर्यात को और बढ़ाने की महत्वपूर्ण क्षमता है, लेकिन उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक रबड़ (एनआर) तक पर्याप्त पहुंच सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण शर्त है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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