नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से दीर्घकालिक शहरी नियोजन करने के लिए दशकों की ‘‘तुष्टीकरण की राजनीति’’ को त्यागने और राजनीतिक साहस दिखाने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में भी सचिव के रूप में कार्य कर चुकीं चंद्रा ने दैनिक समाचार पत्र ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अपने एक खुले पत्र में गुप्ता को ‘‘भारत के सबसे कठिन शहरी कार्यभार’’ को संभालने पर बधाई दी।
चंद्रा (81) ने कहा कि उनका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और वे सलाहकार की भूमिका नहीं चाह रहीं- वह केवल मुख्यमंत्री की ओर से ‘‘अहम बिंदुओं’’ पर प्रतिक्रिया चाहती हैं।
उन्होंने लिखा, ‘‘आप पतन को रोक सकती हैं – या आप इसके अनुचित तर्क को विरासत में ले सकती हैं। दिल्ली को साहस की आवश्यकता है, मामूली प्रशासनिक बदलाव की नहीं।’’
चंद्रा ने साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री के पास खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर के समर्थन से अतीत से अलग काम करने और दिल्ली की सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित से भी आगे निकलने का दुर्लभ अवसर है।
पूर्व नौकरशाह ने पिछली सरकारों पर योजना बनाने के बजाय वोट बैंक की राजनीति को चुनने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे दिल्ली में प्रवासियों की आमद ‘‘संरक्षण की राजनीति’’ में बदल गई। उन्होंने मुफ्त सुविधाओं और पूर्वप्रभावी नियमितीकरण के माध्यम से अस्थायी आश्रय को वैध बनाते समय नियोजन और पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
उन्होंने लिखा, ‘‘70 लाख लोग अनधिकृत मोहल्लों में रहते हैं। कैंसरकारी तत्वों का उपयोग करने वाले उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट नालों में बहा दिया जाता है। यमुना का दम घुट रहा है और फिर भी तुष्टीकरण की राजनीति जारी है।’’
चंद्रा ने शहरी नियोजन के निरंतर क्षरण के लिए तदर्थ नीति, न्यायिक फैसले को पलटने और सरकारी एवं कृषि भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की अनुमति देने वाले विधायी कदमों को दोषी ठहराया तथा ‘‘पुरानी परिस्थितियों में ही नयी सुविधाओं की व्यवस्था के अंतहीन कदमों को समाप्त करने’’ का आह्वान किया।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण की सीमा निर्धारित करने तथा सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने की अपील की कि भविष्य में किसी भी अतिक्रमण को वैध नहीं किया जाएगा।
पूर्व मुख्य सचिव ने राज्य प्रशासनिक तंत्र के उचित समन्वय के साथ सभी उपलब्ध प्रवर्तन उपकरणों का उपयोग करने का सुझाव दिया।
चंद्रा ने रोजगार केंद्रों के पास ‘‘प्रवास की जरूरतों के लिए’’ आवास बनाने की भी सिफारिश की। इसके अलावा उन्होंने नए प्रवासियों को राजनीतिक सुविधा के बजाय, जरूरत के आधार पर सेवाओं का वितरण किए जाने का आह्वान किया।
भाषा सिम्मी मनीषा
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