तिरुवनंतपुरम, तीन जुलाई (भाषा) तिरुवनंतपुरम के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में शल्य चिकित्सा उपकरणों की कमी के बारे में अपने खुलासे से राज्य में एक राजनीतिक तूफान खड़ा करने वाले डॉ. हैरिस चिरक्कल ने बृहस्पतिवार को माना कि इस मुद्दे को उजागर करने के लिए उनके द्वारा चुना गया तरीका गलत था और वह इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं।
मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. चिरक्कल ने कहा कि उन्होंने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर किया, क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था।
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि मेरे द्वारा चुना गया तरीका सही नहीं था। यह मेरी गलती थी। लेकिन, मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था।’’
डॉ. चिरक्कल ने स्पष्ट किया कि उन्होंने राज्य सरकार या उसके स्वास्थ्य विभाग को दोषी नहीं ठहराया है तथा उनका यह पोस्ट नौकरशाही की धीमी गति और उदासीनता के लिए था।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने यह पोस्ट डाला था, तो मुझे नहीं पता था कि इसका नतीजा ऐसा होगा। लेकिन, यह मेरी सोच से कहीं ज्यादा बड़ा मामला हो गया। मेरा इरादा सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के ध्यान में यह बात लाना था। लेकिन, इसका असर माकपा, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री पर पड़ा है, जिन्होंने पहले भी मेरा सहयोग किया है।’’
उन्होंने विपक्षी दल यूडीएफ के उन दावों को भी नकार दिया कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने उनके इस कदम की आलोचना करते हुए धमकाने वाली टिप्पणियां कीं।
उन्होंने कहा कि वह अपने खुलासे के बाद के परिणाम से भयभीत नहीं हैं।
डॉ. चिरकल्ल ने कहा, ‘‘यहां नहीं तो कहीं और नौकरी कर लूंगा। रोजगार छिनने से मुझे कोई सरोकार नहीं है। मैंने आम लोगों की मदद के लिए सरकारी क्षेत्र को चुना, न कि इसलिए कि मुझे विदेश या निजी क्षेत्र में नौकरी नहीं मिल सकी।’’
डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के लिए गठित समिति को अपने खुलासे से संबंधित सभी साक्ष्य सौंप दिए हैं और उपकरण की आपूर्ति में देरी को रोकने के लिए अपनी सिफारिशें भी दी हैं।
उन्होंने हाल में फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा था कि आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण सर्जरी टल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारियों द्वारा बार-बार दिए गए आश्वासन के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, जिससे मरीजों को समय पर उपचार न मिलने के कारण गंभीर पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है।
भाषा गोला मनीषा
मनीषा