लखनऊ, तीन जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) परियोजना के लिए गठित सोसाइटी को भंग करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
इस निर्णय में यह भी शामिल है कि इसकी बागडोर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंपी जाएगी।
यह निर्णय उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा, ‘पूर्व में गठित जेपीएनआईसी सोसायटी को भंग करने और केंद्र को इसके वर्तमान स्वरूप में लखनऊ विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया है। एलडीए अब परियोजना के पूरा होने, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगा।’
खन्ना ने कहा कि निर्णय के अनुसार, जेपीएनआईसी परियोजना के लिए राज्य द्वारा अब तक वितरित कुल 821.74 करोड़ रुपये को एलडीए को ऋण के रूप में माना जाएगा, जिसे वह 30 वर्षों की अवधि में चुकाएगा।
कैबिनेट ने एलडीए को परियोजना को पूरा करने के लिए प्रक्रिया और शर्तें तैयार करने और निजी व्यक्तियों के माध्यम से इसके संचालन और रखरखाव का प्रबंधन करने के लिए भी अधिकृत किया।
प्राधिकरण को सोसायटी को भंग करने और इसकी सदस्यता समाप्त करने जैसी कार्रवाई करने का भी अधिकार दिया गया है।
जेपीएनआईसी परियोजना में एक राज्य स्तरीय ऑडिटोरियम, एक कन्वेंशन सेंटर, एक आधुनिक खेल परिसर, बहुउद्देशीय खेल कोर्ट और लगभग 750 चार पहिया वाहनों के लिए एक बहु-स्तरीय पार्किंग सुविधा का निर्माण शामिल है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट 2017 में राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ठप हो गया था।
परियोजना में कथित भ्रष्टाचार की जांच के भी आदेश दिए गए थे और तब से यह परियोजना अधर में लटकी हुई है।
केंद्र की कल्पना जयप्रकाश नारायण को समर्पित एक विश्व स्तरीय सम्मेलन, संस्कृति, खेल और संग्रहालय परिसर के रूप में की गई थी।
पिछले साल 11 अक्टूबर को जय प्रकाश नारायण की जयंती पर अखिलेश यादव ने पार्टी विचारक को श्रद्धांजलि देने के लिए जेपीएनआईसी पहुंचने का ऐलान किया था और प्रवेश द्वारों पर टिन शेड लगाकर बैरिकेडिंग कर दी थी।
प्रवेश से इनकार किए जाने के बाद उन्होंने बाहर सड़क पर माल्यार्पण किया। 2023 में अखिलेश ने जेपीएनआईसी के अंदर लगी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए बंद गेट पर चढ़कर प्रदर्शन किया था।
उन्होंने सार्वजनिक रूप से एलडीए और उप्र सरकार पर लोकतंत्र को दबाने और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने का आरोप लगाया है। अखिलेश ने सरकार के कार्यों को सपा की विरासत को बदनाम करने की व्यापक ‘गंदी राजनीति’ रणनीति का हिस्सा बताया था।
भाषा अभिनव जफर मनीषा रंजन
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