कोलकाता, दो जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य को बृहस्पतिवार को पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई का नया अध्यक्ष आधिकारिक रूप से घोषित किया गया और वह 2026 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करेंगे।
उन्होंने इस चुनाव को राज्य की संस्कृति और बहुलवाद को तृणमूल कांग्रेस के ‘‘भ्रष्ट कुशासन’ से बचाने की लड़ाई बताया।
भट्टाचार्य को निर्विरोध चुना गया, क्योंकि बुधवार की समयसीमा तक किसी भी अन्य उम्मीदवार ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया था।
यहां ‘साइंस सिटी’ में एक अभिनंदन समारोह के दौरान यह औपचारिक घोषणा की गयी। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद मौजूद थे, जिन्होंने भट्टाचार्य को निर्वाचन का प्रमाणपत्र दिया।
भट्टाचार्य ने बुधवार दोपहर को सॉल्ट लेक स्थित भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में निवर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।
भट्टाचार्य ने ऐसे वक्त पर प्रदेश अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला है, जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए एक वर्ष से भी कम समय रह गया है।
उन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए पहले संबोधन में कहा, ‘‘बंगाल में हमने ऐसी स्थिति से शुरुआत की, जहां यह मान लिया गया था कि हमारा अस्तित्व नहीं है। लेकिन, हमने अपनी विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया। आज, इस राज्य की जनता ने हमें एक मुकाम दिया है। तृणमूल कांग्रेस की हार निश्चित है।’’
उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता ने भ्रष्ट तृणमूल सरकार के इस कुशासन को अगले विधानसभा चुनावों में समाप्त करने का मन बना लिया है।
भट्टाचार्य ने 2026 के विधानसभा चुनाव को ‘‘बंगाल की संस्कृति, बहुलता और विरासत की लड़ाई’’ बताते हुए आरोप लगाया कि तृणमूल शासन में इन मूल्यों को खतरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में भाजपा अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंसा और साम्प्रदायिकता की राजनीति के खिलाफ है।’’
निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने इस बदलाव को पार्टी की कार्यप्रणाली में एक स्वाभाविक प्रक्रिया बताया।
मजूमदार ने कहा, ‘‘यह ‘रिले रेस’ है, जिसमें दौड़ चलती रहती है, लेकिन बैटन संभालने वाले हाथ बदलते रहते हैं। मैंने दिलीप घोष से कमान संभाली थी और आज समिक दा मुझसे कमान संभाल रहे हैं। हमने 38 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं और मुझे उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में हम इसमें सुधार करेंगे और अगले चुनाव में तृणमूल सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे।’’
पार्टी की संगठनात्मक मशीनरी को मजबूत करना और राज्य भर में इसका आधार बढ़ाना भट्टाचार्य की शीर्ष प्राथमिकताएं होंगी।
भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीती थीं। उसके बाद से यह संख्या घटकर 65 रह गई है, जिसमें 12 सीटें या तो निर्वाचित विधायकों के निधन या विधायकों के दल बदलकर सत्तारूढ़ तृणमूल में शामिल होने के कारण हुए उपचुनावों में हार की वजह से कम हो गयीं।
भट्टाचार्य की प्रमुख चुनौतियों में पार्टी के संगठनात्मक और विधायी शाखाओं के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना, राज्य भाजपा के भीतर विभिन्न गुटों को एकजुट करना और तृणमूल द्वारा भाजपा की ‘बंगाली विरोधी’ और ‘बाहरी पार्टी’ के रूप में गढ़ी छवि से निपटना शामिल है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह देखना बाकी है कि अपने स्पष्ट संचार कौशल और भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गहरे जुड़ाव के लिए पहचाने जाने वाले भट्टाचार्य इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं।
भाषा गोला प्रशांत
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