पणजी, तीन जुलाई (भाषा) जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र ने देश भर के जनजातीय क्षेत्रों में घर, सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं और पानी उपलब्ध कराने के लिए 79 हजार करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं।
दक्षिण गोवा के संगुएम में धरती आबा जनभागीदारी अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कभी यह नहीं माना कि जनजातीय समुदायों के सामने आने वाली समस्याएं समाज के अन्य वर्गों से भिन्न हो सकती हैं।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर और राज्य के समाज कल्याण मंत्री सुभाष फल देसाई भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
ओडिशा के 64 वर्षीय आदिवासी नेता ने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने (2014 में) के बाद ही एक बड़े बजट के साथ आदिवासी कल्याण के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय का प्रारंभिक बजट आठ हजार करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी मेरी रातों की नींद उड़ जाती है। हमारे पास 79 हजार करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट है। इस बजट का इस्तेमाल राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए करना चाहिए।’’
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (जिसे प्रधानमंत्री धरती आबा अभियान भी कहा जाता है) दो अक्टूबर 2024 को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य पूरे भारत में आदिवासी बाहुल्य गांवों का व्यापक उत्थान करना है।
मंत्री ने कहा कि इस योजना के लिए धनराशि आवंटित कर दी गई है, जिसमें 17 मंत्रालय शामिल हैं जो आदिवासी गांवों के विकास के लिए मिलकर काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (घरों के लिए) को पूरी तरह से लागू किया जाएगा और 25 हजार किलोमीटर का ग्रामीण सड़क संपर्क स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘नल से जल’ कार्यक्रम के तहत हर आदिवासी गांव को नल के पानी से जोड़ा जाएगा।
ओराम ने कहा कि आदिवासी गांवों में ‘मोबाइल मेडिकल यूनिट’ शुरू की जाएंगी जिनमें कैंसर और अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए उपकरण भी होंगे।
उन्होंने आदिवासी कल्याण मंत्रालय अपने पास रखने के लिए मुख्यमंत्री सावंत को बधाई दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस विभाग की जिम्मेदारी अपने पास रखने से पता चलता है कि वह आदिवासियों के लिए कितना चिंतित हैं।
मुख्यमंत्री सावंत ने कहा कि आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करना भाजपा के डीएनए में है। उन्होंने कहा कि हालांकि आदिवासियों के साथ उनका कोई खून का रिश्ता नहीं है, लेकिन समुदाय के साथ उनका भावनात्मक और सामाजिक जुड़ाव है।
भाषा यासिर नेत्रपाल
नेत्रपाल