नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) लखनऊ की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने तीन करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में तीन व्यक्तियों को धन शोधन के लिए दोषी ठहराया और जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कुर्क की गई 16 लाख रुपये की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया।
विशेष न्यायाधीश राहुल प्रकाश की अदालत ने 30 जून को यह आदेश पारित किया।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई ईडी जांच, दिवंगत अमरनाथ साहू और अन्य के खिलाफ 2006 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद की जा रही है। साहू ने 15 सितंबर, 2003 से 10 दिसंबर, 2005 तक लखनऊ में इलाहाबाद बैंक की जानकीपुरम शाखा में प्रबंधक के रूप में काम किया था।
‘पीटीआई’ द्वारा प्राप्त मामले के दस्तावेज के अनुसार सीबीआई ने आरोप लगाया कि साहू ने ‘‘फर्जी’’ दस्तावेज के आधार पर ‘ओवरड्राफ्ट’ और ऋण वितरित किए और बैंकिंग मानदंडों का उल्लंघन किया। बैंक द्वारा की गई आंतरिक जांच में 3.20 करोड़ रुपये का घाटा पाया गया।
ईडी ने 2010 में पीएमएलए के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था और अक्टूबर 2017 में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। मामले में सितंबर 2024 में आरोप तय किये गये थे।
अदालत ने तीन आरोपियों सौरभ साहू, अश्विनी कुमार और ममता सिन्हा को पीएमएलए की विभिन्न धाराओं के तहत धन शोधन के आरोप में दोषी ठहराया था।
आदेश में कहा गया कि अमरनाथ साहू के खिलाफ सुनवाई रोक दी गई है क्योंकि मुकदमे के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
अदालत ने तीनों दोषियों को तीन-तीन साल कैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही कहा है कि जुर्माना अदा न करने पर आरोपियों को छह महीने की अतिरिक्त कैद काटनी होगी।
अदालत ने 16,42,248 रुपये की अचल संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया। ये संपत्तियां ममता सिन्हा की थीं और इन्हें जांच के दौरान ईडी ने जब्त कर लिया था, जैसा कि आदेश में उल्लेख किया गया है।
भाषा
देवेंद्र पवनेश
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