नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया, जिसके तहत स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) को एक मामले में एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने एनसीबी पर लगाए गए जुर्माने की राशि घटाकर 50 हजार रुपये कर दी।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 16 जून 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
उच्च न्यायालय ने स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के एक मामले में दोषियों को बरी करने के बारासात स्थित विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में देरी के लिए एनसीबी पर यह जुर्माना लगाया था।
जुर्माना राशि एक हफ्ते के भीतर पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, कोलकाता को अदा करने का निर्देश दिया गया था।
एनसीबी से कहा गया था कि वह सरकारी अपील का मसौदा तैयार करने और उसे दाखिल करने की प्रक्रिया में शामिल अपने कर्मियों से जुर्माना राशि वसूल करे।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माना राशि का भुगतान सरकार करे, न कि अधिकारियों से वसूली जाए।
पीठ ने केंद्र के वकील से कहा, ‘एक बात स्पष्ट है। या तो आपके वकील की गलती होगी या आपके अधिकारी की। यह दोनों में से किसी एक की गलती होगी।’
उसने कहा, ‘हम फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (केंद्र के वकील) की ओर से दिए गए विशिष्ट बयान के मद्देनजर (आदेश का) अनुपालन अधिकारी द्वारा नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता द्वारा किया जाना है।’
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई मामलों में अपील देरी से दायर की गई और यह ‘परेशान करने वाली बात’ है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय की कुछ टिप्पणियां मददगार होंगी।
पीठ ने कहा, ‘कृपया एक वकील के तौर पर अपनी स्थिति को समझें। अगर वे आपके पास नहीं आते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि क्या करना है। आप सर्वोच्च न्यायालय से अपने आदेशों को मनवाने के लिए निर्देश जारी करने को न कहें।’
भाषा पारुल रंजन
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