पुरी, तीन जुलाई (भाषा)भगवान जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार सुरक्षित है, तथा कक्ष की मरम्मत का काम लगभग पूरा हो चुका है। पुरी के राजा गजपति महाराज दिब्यसिंह देब ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
गजपति महाराज 12वीं शताब्दी के मंदिर के संरक्षक हैं। उन्होंने 11 महीने से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए जा रहे रत्न भंडार मरम्मत कार्य का निरीक्षण किया।
उनके अलावा, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढी और एएसआई की तकनीकी टीम के सदस्यों ने रत्न भंडार में प्रवेश किया और इसके बाहरी और आंतरिक दोनों कक्षों का निरीक्षण किया, जो जर्जर हो गए थे।
देब ने कहा कि रत्न भंडार का संरचनात्मक पुनरुद्धार और सौंदर्य ओडिशा की कालातीत मंदिर वास्तुकला को दर्शाता है।
उन्होंने 65 मीटर ऊंचे भव्य मंदिर के बाहर संवाददाताओं को बताया कि लगभग 600 पत्थर की शिलाओं को नई शिलाओं से प्रतिस्थापित किया गया है और इस दौरान पारंपरिक डिजाइन को अक्षुण्ण रखा गया है तथा सुरक्षा को भी मजबूत किया गया है।
महाराज गजपति ने कहा,‘‘जो थोड़ा बहुत काम बचा है, वह आठ जुलाई को ‘नीलाद्रि बिजे’ (रथ यात्रा के बाद देवताओं की मंदिर में वापसी) तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।’’
उन्होंने कहा कि मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद, राज्य सरकार की अनुमति से एसजेटीए मूल्यवान वस्तुओं की सूची तैयार करेगा।
अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को 46 साल बाद बहुमूल्य वस्तुओं की सूची तैयार करने और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए जुलाई 2024 में खोला गया था।
सूत्रों ने बताया कि कुल 14 बीम की मरम्मत की गई है। रत्न भंडार की मरम्मत के काम में 80 से अधिक कुशल कारीगरों की सेवा ली गई।
पाढी ने कहा कि आंतरिक मरम्मत लगभग पूरी हो चुकी है, तथा बाहरी कोषागार का अंतिम कार्य अगले दो दिनों में पूरा हो जाने की उम्मीद है।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि रत्न भंडार के बाहरी और भीतरी हिस्सों को रासायनिक परत से संरक्षित किया जा रहा है।
पाढ़ी ने बताया कि इसमें नए स्टेनलेस स्टील और बर्मा सागवान लकड़ी के सुरक्षा द्वार भी जोड़े गए हैं। उन्होंने बताया कि बाद में गेट पर चांदी की परत चढ़ाई जाएगी।
भाषा धीरज नरेश
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