नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद मौजूद तरीके से की गई तो राज्य के एक करोड़ मतदाता मतदान से वंचित हो सकते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी की तरह यह ‘वोटबंदी’ है जिस पर विपक्ष के सवालों का निर्वाचन आयोग ने जवाब नहीं दिया।
वाममंथी नेता ने कहा कि उनका दल पूरी ताकत से लड़ेगा और इसको लेकर मुहिम शुरू की जाएगी।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘यह पहली बार हुआ कि मतदाताओं को यह साबित करने के लिए कहा गया है कि वे भारत के नागरिक हैं और मतदाता हैं…इस पूरी कवायद में बिहार के पांच करोड़ लोगों को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।’’
उनका कहना था कि लोगों के पास अभी जो दस्तावेज हैं उनकी जरूरत नहीं बताई गई है।
उन्होंने कहा कि लोगों से 10वीं की मार्कशीट, जन्म प्रमाणपत्र, जमीन के कागजात मांगें जा रहे हैं, लेकिन बहुत सारे लोगों के पास ये दस्तावेज नहीं होंगे।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमारी आशंका है कि अगर इसी तरह प्रक्रिया चलाई गई तो एक करोड़ लोग मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि मतदान के सार्वभौमिक अधिकार के दायरे को सीमित किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने वाजिब सवालों का उचित जवाब नहीं दिया।
भाषा हक
हक नरेश
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