आजमगढ़ (उप्र), तीन जुलाई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के बीच ऐतिहासिक एकता का जिक्र करते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय के लिए वैचारिक गठबंधन की शक्ति को दर्शाता है।
आजमगढ़ में पार्टी के नए आवास और कार्यालय परिसर के उद्घाटन के अवसर पर अखिलेश ने भीड़ में मौजूद एक युवा पार्टी कार्यकर्ता द्वारा दिखाई गई तस्वीर का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, ‘उस तस्वीर में नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और कांशीराम एक साथ थे। सोचिए वह समय कितना महत्वपूर्ण था – जब दो विचारधाराएं एक साथ खड़ी थीं।’
दलित नेता कांशीराम और मुलायम सिंह यादव ने 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ हाथ मिलाया था, जो उस समय अपने उत्कर्ष पर थी।
वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की मौजूदगी के रणनीतिक विस्तार को चिह्नित करते हुए अखिलेश ने कहा कि आजमगढ़ का उनके पिता मुलायम सिंह से विशेष भावनात्मक जुड़ाव रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘आजमगढ़ जिस तरह का प्यार और सम्मान देता है, वह दुर्लभ है। नेताजी का इस जगह से गहरा भावनात्मक जुड़ाव था और यहां के लोग हमेशा उनके साथ खड़े रहे।’’
अपने राजनीतिक सफर पर विचार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मेरे जीवन का एक चौथाई हिस्सा राजनीति में बीता है। मुझे याद है कि कैसे आजमगढ़ के लोगों ने चुनावों में नेताजी की जीत सुनिश्चित की थी।’’
भाजपा पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश ने कहा, ‘‘उनके पास कई मंजिलों वाले कार्यालय हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। यहां उनका कार्यालय छोटा है क्योंकि उन्हें पता है कि वे यहां से नहीं जीतेंगे।’
अपने कार्यकाल के दौरान किए गए बुनियादी ढांचे के लाभ की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लखनऊ से आजमगढ़ पहुंचने में उतना ही समय लगता है जितना कि इटावा के सैफई पहुंचने में लगता है, इसका श्रेय हमने जो एक्सप्रेसवे बनाए हैं, उन्हें जाता है।’
अखिलेश ने मई 2019 से मार्च 2022 तक लोकसभा में आजमगढ़ का प्रतिनिधित्व किया था। साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह करहल सीट से विधायक चुने गए थे। अखिलेश के पिता सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से जीत हासिल की थी। अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव इस वक्त आजमगढ़ से सांसद हैं।
सपा प्रमुख ने भाजपा पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय संविधान में निहित सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों को खत्म करने का प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश ने कहा, ”वह हम पर ‘डी कंपनी’ से संबंध रखने का आरोप लगाते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि लखनऊ में बैठे लोग ‘डी’ से भयभीत हैं। इसका मतलब दिल्ली (केंद्रीय नेतृत्व) से है।”
यादव ने भाजपा पर खासकर चुनाव नजदीक आने पर आरक्षण, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों को रणनीतिक रूप से निशाना बनाने का आरोप लगाया और कहा, ”जब भी बिहार में चुनाव करीब आते हैं तो भाजपा के लोग आरक्षण, संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बोलना शुरू कर देते हैं। जब उन्हें अपना जनाधार खिसकने का डर होता है तो वे सामाजिक न्याय को कमजोर करके इन मूल्यों पर परोक्ष रूप से हमला करते हैं।”
सपा प्रमुख ने जातीय गणना आधारित जनगणना की बढ़ती मांग का जिक्र करते हुए कहा, ”लोगों में यह धारणा बलवती होती जा रही है कि जातीय गणना आधारित जनगणना से ही वास्तविक सशक्तिकरण होगा। इसीलिए समाजवादी पार्टी ने बाबा साहब आंबेडकर और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के सपने को साकार करने का संकल्प लिया है। यह एक ऐसा सपना है जिसे नेताजी मुलायम सिंह यादव और अन्य समाजवादी नेताओं ने कायम रखा है।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) के झंडे तले एकता का आह्वान करते हुए कहा, ”यह वही समुदाय है जिसके लिए बाबा साहब ने लड़ाई लड़ी थी, जिसे हम बहुजन समाज कहते हैं। पीडीए का मतलब पीड़ित, दुखी, अपमानित है। यह हमारा व्यापक सामाजिक गठबंधन है और इस एकता के जरिए हम सत्ता और न्याय हासिल करेंगे।”
उन्होंने आजमगढ़ में नवनिर्मित पार्टी कार्यालय का नाम ‘पीडीए भवन’ रखने की पेशकश की और कहा, ”केवल पीडीए एकता ही सामाजिक न्याय और राजनीतिक सत्ता का रास्ता खोलेगी।”
जाति आधारित भेदभाव के बारे में समर्थकों को आगाह करते हुए अखिलेश ने इटावा में हाल ही में हुई एक घटना का जिक्र किया, जिसमें एक गैर-ब्राह्मण कथावाचक और उनके सहयोगी को कथित तौर पर उच्च जाति के ग्रामीणों द्वारा अपमानित किया गया था।
सपा प्रमुख ने आरोप लगाया, ‘‘गरीब परिवार धार्मिक प्रवचन आयोजित करना चाहते हैं, लेकिन वे आज के व्यावसायिक कथावाचकों को वहन नहीं कर सकते। इसलिए वे दूसरे कथावाचकों को बुलाते हैं लेकिन उन्हें भी जातिवादी गालियां दी जाती हैं। यह मानसिकता दर्शाती है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संविधान का पालन नहीं करती। वे मनु महाराज द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं। लेकिन हम उस मार्ग को कभी स्वीकार नहीं कर सकते।”
भाषा सं. जफर सलीम संतोष
संतोष
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