नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत जारी कार्यवाही का इस्तेमाल धनशोधन निवारक अधिनियम के तहत जारी जांच या प्रक्रिया को रोकने या उससे बचने के लिए नहीं किया जा सकता है।
एनसीएलटी ने शक्ति भोग स्नैक्स को भंग करने की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
यह कंपनी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में है। धनशोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने उसके खिलाफ दायर ईडी की शिकायत का संज्ञान लिया है।
एनसीएलटी ने कहा कि पीएमएलए जांच जारी रहने की स्थिति में कंपनी को भंग करने की अनुमति देना ‘न्यायिक अतिक्रमण’ जैसा होगा और इससे ईडी की जांच, मुकदमेबाजी और अपराध की आय की वसूली की क्षमता प्रभावित होगी।
न्यायाधिकरण की दो-सदस्यीय पीठ ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही यह मान चुका है कि एनसीएलटी या अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के पास पीएमएलए के तहत पारित आदेशों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड की समूह कंपनी शक्ति भोग स्नैक्स के खिलाफ ईडी ने फर्जी लेनदेन और धनशोधन में शामिल होने का आरोप लगाया है। कंपनी पर मार्च, 2020 तक बैंकों का लगभग 3,269.42 करोड़ रुपये बकाया था।
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