नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा ने भाजपा सरकार से शहरी प्रशासन के मुद्दों से निपटने के लिए प्रवासियों के आवास, अपशिष्ट प्रबंधन और अंतर-एजेंसी समन्वय को तत्काल प्राथमिकता देने की अपील की है।
चंद्रा (81) ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि प्रवासी श्रमिकों की गैर नियोजित बस्तियां दिल्ली की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में भी सचिव रह चुकी चंद्रा ने कहा, ‘‘प्रवासी काम की तलाश में आते रहेंगे। उन्हें पानी, बिजली और आवास की जरूरत है। सरकार यह सब मुहैया नहीं करा सकती, लेकिन वह लोगों को सड़कों या नालियों के बिना सार्वजनिक भूमि पर बसने की अनुमति भी नहीं दे सकती।’’
चंद्रा ने अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अपने एक खुले पत्र में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से दीर्घकालिक शहरी नियोजन करने के लिए दशकों की ‘‘तुष्टीकरण की राजनीति’’ को त्यागने और राजनीतिक साहस दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने ‘‘भारत के सबसे कठिन शहरी कार्यभार’’ को संभालने पर गुप्ता को बधाई भी दी।
चंद्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के क्षेत्रवार नियमों और जमीनी स्थिति के बीच लंबे समय से चली आ रही विसंगति को उजागर किया और एक व्यापक शहरी आवास योजना की आवश्यकता पर बल दिया, जो नयी अनधिकृत कॉलोनियों के निर्माण को रोक सके।
उन्होंने कहा, ‘‘सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करना सबसे आसान है, क्योंकि यह संरक्षित नहीं है। शहर की वहन क्षमता हर दिन कम होती जा रही है। इसलिए किसी तरह से इस पर नियंत्रण करना होगा, क्योंकि जो कुछ भी हुआ है, उसे पूर्ववत करने के बजाय कम से कम नयी चीजों को होने से रोकना होगा।’’
चंद्रा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में एजेंसियों की संख्या भी एक चुनौती है। उन्होंने विभिन्न नागरिक और नियोजन एजेंसियों के बीच अंतराल को पाटने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी में डीडीए, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम), पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग), भूमि और भवन विभाग, राजस्व विभाग, (दिल्ली) पुलिस है – सभी काम कर रहे हैं, लेकिन अलग-अलग काम कर रहे हैं। पर, जवाबदेही नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन होना चाहिए, जो कि इंदौर से सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इंदौर में कोई ढलाव नहीं है, कूड़े का कोई पहाड़ नहीं है। घरों से छह अलग-अलग थैलों में कचरा नगर निगम द्वारा ही उठाया जाता है – न कि आउटसोर्स ठेकेदारों द्वारा।’’
दिल्ली की नयी महिला मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बारे में पूछे जाने पर चंद्रा ने कहा कि महिला मुखिया अक्सर घर के कामकाज की बारीकियों पर ध्यान देती हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने एक बार उनसे पहली मुलाकात के दौरान दिल्ली सचिवालय के लिए एक अच्छे सफाईकर्मी को नियुक्त करने को प्राथमिकता देने के लिए कहा था।
चंद्रा ने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में कोई जवाबदेही नहीं रही। इसलिए यह ऐसी चीज है जिसे स्थापित किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे खुले पत्र में कहा कि उनका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और सलाहकार की भूमिका नहीं चाह रहीं- वह केवल मुख्यमंत्री की ओर से ‘‘अहम बिंदुओं’’ पर प्रतिक्रिया चाहती हैं।
उन्होंने लिखा, ‘‘आप पतन को रोक सकती हैं… दिल्ली को साहस की आवश्यकता है, मामूली प्रशासनिक बदलाव की नहीं।’’
चंद्रा ने साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री के पास खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर के समर्थन से अतीत से अलग हटकर काम करने और दिल्ली की सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित से भी आगे निकलने का दुर्लभ अवसर है।
पूर्व नौकरशाह ने पिछली सरकारों पर योजना बनाने के बजाय वोट बैंक की राजनीति को चुनने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे दिल्ली में प्रवासियों की आमद ‘‘संरक्षण की राजनीति’’ में बदल गई। उन्होंने मुफ्त सुविधाओं और पूर्वप्रभावी नियमितीकरण के माध्यम से अस्थायी आश्रय को वैध बनाते समय नियोजन और पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
उन्होंने लिखा, ‘‘70 लाख लोग अनधिकृत मोहल्लों में रहते हैं। कैंसरकारी तत्वों का उपयोग करने वाले उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट नालों में बहा दिया जाता है। यमुना का दम घुट रहा है और फिर भी तुष्टीकरण की राजनीति जारी है।’’
चंद्रा ने शहरी नियोजन के निरंतर क्षरण के लिए तदर्थ नीति, न्यायिक फैसले को पलटने और सरकारी एवं कृषि भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की अनुमति देने वाले विधायी कदमों को दोषी ठहराया तथा ‘‘पुरानी परिस्थितियों में ही नयी सुविधाओं की व्यवस्था के अंतहीन कदमों को समाप्त करने’’ का आह्वान किया।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण की सीमा निर्धारित करने तथा सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने की अपील की कि भविष्य में किसी भी अतिक्रमण को वैध नहीं किया जाएगा।
चंद्रा ने रोजगार केंद्रों के पास ‘‘प्रवास की जरूरतों के लिए’’ आवास बनाने की भी सिफारिश की। इसके अलावा उन्होंने नये प्रवासियों को राजनीतिक सुविधा के बजाय, जरूरत के आधार पर सेवाओं का वितरण किए जाने का आह्वान किया।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश