नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) विभिन्न दलों के सांसदों ने साइबर अपराध की घटनाओं, खासकर भोले-भाले लोगों को निशाना बनाकर की जाने वाली वित्तीय धोखाधड़ी पर बृहस्पतिवार को चिंता जताई।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक, राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) के महानिदेशक और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी बृहस्पतिवार को एक संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए।
सूत्रों ने बताया कि कुछ विपक्षी सांसदों ने ऐसे मामलों में कथित रूप से कम दोषसिद्धि दर पर चिंता जताई। इसके साथ ही सांसदों ने बैंकों से हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपियों के विदेशी पनाहगाहों से वापस लाने में भारतीय एजेंसियों की कथित विफलता का मुद्दा भी उठाया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद राधामोहन दास अग्रवाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की स्थायी समिति ने बुधवार और बृहस्पतिवार को ‘साइबर अपराध-परिणाम, संरक्षण और रोकथाम’ पर लगभग दिनभर बैठकें कीं।
वित्तीय सेवा विभाग, बैंकों, दूरसंचार विभाग, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कॉर्पोरेट मामले और वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (एफआईयू-आईएनडी) के अलावा संघीय जांच एजेंसियों के प्रतिनिधि भी समिति के समक्ष पेश हुए।
एक सदस्य ने बताया, ‘विभिन्न दलों के सांसदों ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई। जांच एजेंसियों ने जहां अपनी कार्रवाई पर प्रकाश डाला, वहीं सांसदों ने कई सुझाव दिए।’
सूत्रों के मुताबिक, एक अन्य सांसद ने हाल ही में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दाखिल आवेदन पर मिले जवाब का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि चार वर्षों में मुंबई के साइबर पुलिस थानों ने 2,000 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं, लेकिन इस अवधि के दौरान केवल दो मामलों में ही दोषसिद्धि हुई।
सूत्रों के अनुसार, एक जांच एजेंसी ने कहा कि उसने इन अपराधों के पीड़ित लोगों से ठगी गई धनराशि प्राप्त करने और उसे वैध बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लाखों खातों को फ्रीज कर दिया है, साथ ही अन्य देशों से सहयोग बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं, क्योंकि इन आपराधिक गिरोहों की जड़ें अक्सर भारत के बाहर होती हैं।
कुछ सांसदों ने जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। एक सदस्य ने हेल्पलाइन नंबर 1930 से संबंधित समस्याओं को उठाया, जिसे साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत करने के लिए शुरू किया गया था।
भाषा पारुल अविनाश
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